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दास
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भिखारीदास
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जन्म | 1700 |
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निधन | 1760 |
उपनाम | दास |
जन्म स्थान | टयोंगा, प्रतापगढ |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
रस-सारांश, शृंगार-निर्णय | |
विविध | |
रीतिकाल के कवि | |
जीवन परिचय | |
दास / परिचय |
- बादि छवो रस व्यँजन खाइबो बादि नवो रस मिश्रित गाइबो / दास
- लेहु जु लाई हौँ गेह तिहारे परे जेहि नेह सँदेस खरे मैँ / दास
- जोहे जाहि चाँदनी की लागति भली न छवि / दास
- धूरि चढ़ै नभ पौन प्रसँग तें कीच भई जल संगति पाई / दास
- झाँझरियाँ झनकैगीँ खरी खनकैगीँ चुरी तन को तन तोरे / दास
- बार अंध्यारनि मैँ भटक्यो हौँ / दास
- बात चलै की चली जबतेँ तबतेँ चले काम के तीर हजारन / दास
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