- रहि चलिये सुंदर रघुनायक। / तुलसीदास
 - राम!हौं कौन जतन घर रहिहौं? / तुलसीदास
 - रहहु भवन हमरे कहे, कामिनि! / तुलसीदास
 - कृपानिधान सुजान प्रानपति, / तुलसीदास
 - कहौ तुम्ह बिनु गृह मेरो कौन काजु? / तुलसीदास
 - प्रिय निठुर बचन कहे कारन कवन? / तुलसीदास
 - मैं तुमसों सतिभाव कही है / तुलसीदास
 - मैं तुमसों सतिभाव कही है / तुलसीदास
 - जबहि रघुपति सँग सीय चली।/ तुलसीदास
 - ठाढ़े हैं लषन कमलकर जोरे।/ तुलसीदास
 - मेाकोबिधु बदन बिलोकन दीजै।/ तुलसीदास
 - कहौ सो बिपिन हैं धौं केतिक दूरि।/ तुलसीदास
 - फिरि फिरि राम सीय तनु हेरत।/ तुलसीदास
 - नृपहिं कुँवर राजत मग जात।/ तुलसीदास
 - तु देखि देखि री! पथिक परम सुंदर दोऊ/ तुलसीदास
 - कुँवर साँवरो री सजनी! / तुलसीदास
 - देखु कोऊ परम सुंदर सखि! बटोही।/ तुलसीदास
 - सखि नीके कै निरखि/ तुलसीदास
 - माई मन के मोहन/ तुलसीदास
 - सखि सरद बिमल/ तुलसीदास
 - सोहैं साँवरे पथिक, पाछे ललना लोनी/ तुलसीदास
 - पथिक गोरे साँवरे सुठि लोने/ तुलसीदास