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प्रेममालिका / भारतेंदु हरिश्चंद्र
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प्रेममालिका
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रचनाकार | भारतेंदु हरिश्चंद्र |
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प्रकाशक | |
वर्ष | 1871 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
राग यथा-रुचि
- प्यारी छबि की रासि बनी / भारतेंदु हरिश्चंद्र
- आजु तन नीलाम्बर अति सोहै / भारतेंदु हरिश्चंद्र
- कौ लखि मन अलि ललच्यौ है / भारतेंदु हरिश्चंद्र
राग सारंग
- आव पिय पलकन पै धरि पाँव / भारतेंदु हरिश्चंद्र
- नैना मानत नाहीं, मेरे नैना मानत नाहीं / भारतेंदु हरिश्चंद्र
- नैन भरि देखि लेहु यह जोरी / भारतेंदु हरिश्चंद्र
- सखी री देखहु बाल-बिनोद / भारतेंदु हरिश्चंद्र
राग केदारा चौताल
- अरी हरि या मग निकसे आइ अचानक / भारतेंदु हरिश्चंद्र
- अरी सखि गाज परौ ऐसी लोक-लाज पै / भारतेंदु हरिश्चंद्र
राग बिहगरा
- सखी मोरे सैंया नहिं आये / भारतेंदु हरिश्चंद्र
- सखी मोहि पिया सों मिलाय दै / भारतेंदु हरिश्चंद्र
- नैन भरि देखौ गोकुल-चंद / भारतेंदु हरिश्चंद्र
- नैन भरि देखौ श्री राधा बाल / भारतेंदु हरिश्चंद्र
- सखी हम कहा करैं कित जायँ / भारतेंदु हरिश्चंद्र
ठुमरी
राग रामकली
राग सारंग
राग विभास
राग सोरठ
- बनी यह सोभा आजु भली / भारतेंदु हरिश्चंद्र
- फबी छबि थोरे ही सिंगार / भारतेंदु हरिश्चंद्र
- आजु सिर चूड़ामनि अति सोहै / भारतेंदु हरिश्चंद्र
राग विभास
राग देस
राग सारंग
राग कान्हरा
राग विहाग
- आजु नव कुंज बिहरत दोऊ रस भरे / भारतेंदु हरिश्चंद्र
- जयति राधिकानाथ चंद्रावली-प्रानपति / भारतेंदु हरिश्चंद्र
राग देव
- स्यामा जी देखो आवै छे थारो रसियो / भारतेंदु हरिश्चंद्र
- म्हारी सेजाँ आवो जी लाल बिहारी / भारतेंदु हरिश्चंद्र
राग असवारी
राग बिहाग
- हम तो श्री वल्लभ ही को जानैं / भारतेंदु हरिश्चंद्र
- अहो प्रभु अपनी ओर निहारौ / भारतेंदु हरिश्चंद्र
- हम तो मोल लिए या घर के / भारतेंदु हरिश्चंद्र
राग परज
राग बिहाग
- अहो हरि वेह दिन कब ऐहै / भारतेंदु हरिश्चंद्र
- अहो हरि वह दिन बेगि दिखाओ / भारतेंदु हरिश्चंद्र
- रसने, रटु सुंदर हरि नाम / भारतेंदु हरिश्चंद्र
- उधारौ दीनबंधु महराज / भारतेंदु हरिश्चंद्र
राग भैरव