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सीता-वनवास / गुलाब खंडेलवाल
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सीता-वनवास
रचनाकार | गुलाब खंडेलवाल |
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प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | हिंदी |
विषय | गीत |
विधा | |
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ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- 'देखना था यह दिन भी आगे / गुलाब खंडेलवाल
- कैकेई मन में थी पछताती / गुलाब खंडेलवाल
- विदा करने निकली जब माता / गुलाब खंडेलवाल
- कौन मारुति को धैर्य बँधाता! / गुलाब खंडेलवाल
- ''नाथ! आज्ञा दें, अब मैं जाऊँ / गुलाब खंडेलवाल
- न यह संवाद जनकपुर जाये / गुलाब खंडेलवाल
- ''भले पावक को सौंप न पाये / गुलाब खंडेलवाल
- 'मैं था भाई बहुत दुलारा / गुलाब खंडेलवाल
- 'बात अंगद को तनिक न भायी / गुलाब खंडेलवाल
- 'इन्द्र की सभा रो पड़ी सारी / गुलाब खंडेलवाल
- 'देख मुनि-आश्रम-छटा निराली / गुलाब खंडेलवाल
- 'स्वप्न में सीता मिथिला आयी / गुलाब खंडेलवाल
- चली जल को सीता सुकुमारी / गुलाब खंडेलवाल
- ''कहाँ हो, महावीर बलशाली / गुलाब खंडेलवाल
- स्वामी को कभी हनुमान / गुलाब खंडेलवाल
- 'कभी मेरी सुधि भी आती है / गुलाब खंडेलवाल
- 'विजय की चर्चा थी जन-जन में / गुलाब खंडेलवाल
- 'राम! 'लौटा दे बहू हमारी' / गुलाब खंडेलवाल
- रात-भर प्रभु को नींद न आयी / गुलाब खंडेलवाल
- 'न था प्रभु को यों चंचल पाया / गुलाब खंडेलवाल
- 'बाल-क्रीड़ा जब लव-कुश करते / गुलाब खंडेलवाल
- 'सीता आँसू रोक न पायी / गुलाब खंडेलवाल
- 'अवध में छाया विस्मय भारी / गुलाब खंडेलवाल
- गाते रामायण मृदु स्वर / गुलाब खंडेलवाल
- 'शोक का सागर ज्यों लहराया / गुलाब खंडेलवाल
- मिला दुख ही दुख जब क्षण-क्षण में / गुलाब खंडेलवाल
- 'पवनसुत चरणों में लपटाये / गुलाब खंडेलवाल
- 'शिलाखंडों ने राह बनायी / गुलाब खंडेलवाल
- ''जहाँ जी चाहे सीता जाये' / गुलाब खंडेलवाल
- ''देवर! अग्निकुंड धधकाओ / गुलाब खंडेलवाल
- 'सती बैठी पद्मासन मारे / गुलाब खंडेलवाल
- 'कंठ मुनि शिष्यों के भर आये / गुलाब खंडेलवाल
- स्वामी! यह क्या मन में आया / गुलाब खंडेलवाल
- ''प्रभो! अच्छा पत्नीव्रत पाला ! / गुलाब खंडेलवाल
- ''विजय रावण पर कैसे पायी! / गुलाब खंडेलवाल
- मन कैसे 'सीताराम' कहे! / गुलाब खंडेलवाल
- 'देख आँसू प्रभु के नयनों में / गुलाब खंडेलवाल
- 'वन में राजसभा उठ आयी / गुलाब खंडेलवाल
- ''सीते! लौट अवध में आओ / गुलाब खंडेलवाल
- सुन पति-वचन स्नेह में साने / गुलाब खंडेलवाल
- 'पुत्री! सूना भवन बसा दे / गुलाब खंडेलवाल
- 'उठ कर बाल्मीकि तब बोले / गुलाब खंडेलवाल
- ''शिष्य लवकुश ये दोनों प्यारे / गुलाब खंडेलवाल
- 'देखती जननी मौन रही / गुलाब खंडेलवाल
- 'सीता! शोक भुला दे मन का / गुलाब खंडेलवाल
- 'वचन सुन-सुन कर प्यारे-प्यारे / गुलाब खंडेलवाल
- ''माना, दोष बड़ा था मेरा / गुलाब खंडेलवाल
- अवध में कैसे पाँव धरूँ! / गुलाब खंडेलवाल
- 'सभा में सन्नाटा था छाया / गुलाब खंडेलवाल
- ''जो हैं जन्म-जन्म के स्वामी / गुलाब खंडेलवाल
- 'नित्य देनी है अग्निपरीक्षा / गुलाब खंडेलवाल
- ''अब है परम शांति अंतर में / गुलाब खंडेलवाल
- ''नहीं भी लौट अवध में जाये / गुलाब खंडेलवाल
- ''गोद में ले ले धरती माता! / गुलाब खंडेलवाल
- 'लव-कुश बेसुध दौड़े आये / गुलाब खंडेलवाल
- 'सती को लेने जब रथ आया / गुलाब खंडेलवाल
- 'विरह ही अंतिम सत्य भुवन का / गुलाब खंडेलवाल
- 'देख प्रभु-नयन अश्रु से छाये / गुलाब खंडेलवाल
- 'उठा पाताल धरा पर लाऊँ / गुलाब खंडेलवाल
- 'अवध की शोभा उजड़ गयी / गुलाब खंडेलवाल