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*[[आजकल तो रास्ता अंधे भी दिखलाने लगे  /वीरेन्द्र खरे अकेला ]]
 
*[[आजकल तो रास्ता अंधे भी दिखलाने लगे  /वीरेन्द्र खरे अकेला ]]
 
*[[रूठा जब से सावन है  /वीरेन्द्र खरे अकेला ]]
 
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*[[ये वक़्त मेहमान के आने का वक़्त है  /वीरेन्द्र खरे अकेला ]]
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*[[ये वक़्त मेहमान के आने का वक़्त है  /वीरेन्द्र खरे 'अकेला' ]]
 
*[[रूठा हुआ है मुझसे इस बात पर ज़माना  /वीरेन्द्र खरे अकेला ]]
 
*[[रूठा हुआ है मुझसे इस बात पर ज़माना  /वीरेन्द्र खरे अकेला ]]
 
*[[अपलक मुझे निहारा करते दो नैना  /वीरेन्द्र खरे अकेला ]]
 
*[[अपलक मुझे निहारा करते दो नैना  /वीरेन्द्र खरे अकेला ]]

17:33, 19 सितम्बर 2011 का अवतरण

शेष बची चौथाई रात
Shesh.bachi.chouthaayi.raat.jpg
रचनाकार वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
प्रकाशक अयन प्रकाशन, महरौली, नई दिल्ली-110030
वर्ष 1999
भाषा हिन्दी
विषय आम आदमी के जीवन और व्यवस्था की ख़ामियों पर केन्द्रित ग़ज़लें
विधा ग़ज़लें
पृष्ठ 80
ISBN 81-7408-135-6
विविध 80.00 रूपये
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।

[ग़ज़ल क्रम]