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+ | * [[याद की सुब्ह ढल गई शौक़ की शाम हो गई / 'शमीम' करहानी]] | ||
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+ | * [[ज़ुल्मत-गह-ए-दौराँ में सुब्ह-ए-चमन-ए-दिल ह / 'शमीम' करहानी]] | ||
+ | * [[जगाओ न बापू को, नींद आ गई है / 'शमीम' करहानी]] |
09:59, 30 जनवरी 2014 के समय का अवतरण
'शमीम' करहानी
जन्म | 1913 |
---|---|
निधन | 1975 |
जन्म स्थान | |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
'शमीम' करहानी / परिचय |
ग़ज़लें
- अगरचे इश्क़ में इक बे-ख़ुदी सी रहती है / 'शमीम' करहानी
- अनमोल सही नायाब सही बे-दाम-ओ-दिरम बिक जाते हैं / 'शमीम' करहानी
- चमन लहक रे रह गया घटा मचल के रह गई / 'शमीम' करहानी
- दर्द-शनास दिल नहीं जलवा-तलब नज़र नहीं / 'शमीम' करहानी
- ग़म दो आलम का जो मिलता है तो ग़म होता है / 'शमीम' करहानी
- हुजूम-ए-दर्द में ख़ंदाँ है कौन मेरे सिवा / 'शमीम' करहानी
- जो देखते हुए नक़्श-ए-क़दम गए होंगे / 'शमीम' करहानी
- जो मिल गई हैं निगाहें कभी निगाहों से / 'शमीम' करहानी
- निकल पड़े हैं सनम रात के शिवाले से / 'शमीम' करहानी
- क़ैद-ए-ग़म-ए-हयात से हम को छुड़ा लिया / 'शमीम' करहानी
- रखना है तो फूलों को तू रख ले निगाहों में / 'शमीम' करहानी
- समझे हैं मफ़हूम नज़र का दिल का इशारा जाने है / 'शमीम' करहानी
- शराब ओ शेर के साँचे में ढल के आई है / 'शमीम' करहानी
- वो दिल भी जलाते हैं रख देते हैं मरहम भी / 'शमीम' करहानी
- याद की सुब्ह ढल गई शौक़ की शाम हो गई / 'शमीम' करहानी
- ये ख़ुशी ग़म-ए-ज़माना का शिकार हो न जाए / 'शमीम' करहानी
- ज़ुल्मत-गह-ए-दौराँ में सुब्ह-ए-चमन-ए-दिल ह / 'शमीम' करहानी
- जगाओ न बापू को, नींद आ गई है / 'शमीम' करहानी