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"बिहान होई कहिया / विनय राय ‘बबुरंग’" के अवतरणों में अंतर
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22:18, 22 जुलाई 2021 के समय का अवतरण
बिहान होई कहिया
रचनाकार | विनय राय ‘बबुरंग’ |
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प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | भोजपुरी |
विषय | |
विधा | |
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ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- बिहान होई कहिया (कविता) / विनय राय ‘बबुरंग’
- भुइंडोल / विनय राय ‘बबुरंग’
- घर का न घाट कऽ / विनय राय ‘बबुरंग’
- जियतो खाइब, मुअतो खाइब / विनय राय ‘बबुरंग’
- कुछ मुक्तक / विनय राय ‘बबुरंग’
- ओही में भठइबर / विनय राय ‘बबुरंग’
- खंजर पर खंजर / विनय राय ‘बबुरंग’
- झलके किरिनियां के कोर / विनय राय ‘बबुरंग’
- धरती सरग अस लागी / विनय राय ‘बबुरंग’
- दरदे / विनय राय ‘बबुरंग’
- दरद बा / विनय राय ‘बबुरंग’
- दरद सहीलां / विनय राय ‘बबुरंग’
- जल बिच मरत पियासा / विनय राय ‘बबुरंग’
- चमनवां मुसकाई हो मोरे भइया / विनय राय ‘बबुरंग’
- गिधवन के दफनाईं / विनय राय ‘बबुरंग’
- भइया बनऽ भगत ललकार / विनय राय ‘बबुरंग’
- मुक्ती खातिर जुद्ध छेड़ि दऽ / विनय राय ‘बबुरंग’
- दम पर दम साधी हम कइसे / विनय राय ‘बबुरंग’
- तिकड़म का खेल / विनय राय ‘बबुरंग’
- दहेज सइतान हो गइल / विनय राय ‘बबुरंग’
- भोपाल कऽ कहर / विनय राय ‘बबुरंग’
- परदा उठावे के होई / विनय राय ‘बबुरंग’
- फंदा दहेज क / विनय राय ‘बबुरंग’
- समाजवादी बालम के नाम / विनय राय ‘बबुरंग’
- फिर लंका जलाइबि हम / विनय राय ‘बबुरंग’
- चाचा नेहरू / विनय राय ‘बबुरंग’
- भाई होके दूर हो गइल बा आदमी / विनय राय ‘बबुरंग’
- संसद भइल मैखाना / विनय राय ‘बबुरंग’
- बाप कऽ बिदाई ह / विनय राय ‘बबुरंग’
- जालिम सगरो ठांव बा / विनय राय ‘बबुरंग’
- हिरोइन बाजार में / विनय राय ‘बबुरंग’
- गोदाम घेर लीं / विनय राय ‘बबुरंग’
- गाड़ी कइसे चली / विनय राय ‘बबुरंग’
- आवs बदली हिन्दुस्तान / विनय राय ‘बबुरंग’
- बापू कऽ सपना भुलावल गइल / विनय राय ‘बबुरंग’
- रावन दल क पंतिया लागे / विनय राय ‘बबुरंग’
- लकीर क फकीर / विनय राय ‘बबुरंग’
- हाय! हाय रे कवि-सम्मेलन / विनय राय ‘बबुरंग’
- हम खुशी कऽ तिहवार कइसे मनाईं / विनय राय ‘बबुरंग’
- चाहे केतनो चमकी संगीन / विनय राय ‘बबुरंग’
- नवकी बेमारी / विनय राय ‘बबुरंग’
- चलऽ कलकत्ता / विनय राय ‘बबुरंग’
- आइल समाजवाद / विनय राय ‘बबुरंग’
- बबुरंग / विनय राय ‘बबुरंग’
- पतरा करत खतरा बा / विनय राय ‘बबुरंग’
- हाय रे पंचाइति / विनय राय ‘बबुरंग’
- हाय-हाय रे सपथ / विनय राय ‘बबुरंग’
- बे पेनी क लोटा हयी / विनय राय ‘बबुरंग’
- ईहे हमार गाँव ह / विनय राय ‘बबुरंग’