"इला प्रसाद" के अवतरणों में अंतर
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+ | या रौशनी की छायाएँ मात्र । | ||
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+ | सूरज मेरी आँखों के आगे नहीं आया कभी | ||
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+ | न ही मैंने महसूसा कभी | ||
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+ | जैसा मैंने कभी कहीं पढ़ा था। | ||
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+ | फिलहाल तो | ||
+ | एक अँधेरे से दूसरे अँधेरे तक की दूरी ही | ||
+ | मैंने बार बार पार की है | ||
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+ | जहाँ से रोशनी की सम्भावनाएँ | ||
+ | समाप्त होती हैं। | ||
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15:28, 21 अक्टूबर 2009 का अवतरण
जन्म | 3 जून 1960 |
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जन्म स्थान | राँची, झारखण्ड |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
धूप का टुकड़ा(कविता संग्रह) एवं इस कहानी का अंत नही( कहानी- संग्रह) । | |
विविध | |
ह्यूस्टन, अमरीका में अध्यापन। | |
जीवन परिचय | |
इला प्रसाद / परिचय |
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- अस्वीकृति / इला प्रसाद
- शुरूआत / इला प्रसाद
- कपास / इला प्रसाद
- द्वीप / इला प्रसाद
- इंधन / इला प्रसाद
- अभिलाषा / इला प्रसाद
- नदी / इला प्रसाद
- अगरबत्ती / इला प्रसाद
- पत्ते / इला प्रसाद
- लड़कियों से / इला प्रसाद
- तलाश / इला प्रसाद
- यात्रा / इला प्रसाद
- ठंड / इला प्रसाद
- क़िताब / इला प्रसाद
- प्रवासी का प्रश्न / इला प्रसाद
- बारिश के बाद / इला प्रसाद
- दूरियाँ / इला प्रसाद
- क़लम / इला प्रसाद
- स्त्री / इला प्रसाद
- रिक्ति / इला प्रसाद
- संदेश / इला प्रसाद
- अंतर / इला प्रसाद
- दीमक / इला प्रसाद
- बाकी कुछ / इला प्रसाद
- मूल्य / इला प्रसाद
- रास्ते / इला प्रसाद
- विश्वास / इला प्रसाद
- सूरज / इला प्रसाद
- कल रात / इला प्रसाद
- रोज़ बदलता मौसम / इला प्रसाद
- अँधेरे के कुएँ से / इला प्रसाद
अँधेरे के कुएँ से ळगातार बाहर आते हुए कई बार मुझे लगा है कि सूरज और मेरे बीच की दूरी स्थाई है। वो जो रह रहकर मेरी आँखें चौंधियायीं थीं वे महज धूप के टुकड़े थे या रौशनी की छायाएँ मात्र ।
सूरज मेरी आँखों के आगे नहीं आया कभी भरोसा दिलाने के लिए जिसे महसूसकर अक्सर उग आता रहा है मेरी आँखों में एक पूरा आकाश।
न ही मैंने महसूसा कभी कि कोई सूरज प्रवाहित है मेरी धमनियों में मेरे रक्त की तरह जैसा मैंने कभी कहीं पढ़ा था।
फिलहाल तो एक अँधेरे से दूसरे अँधेरे तक की दूरी ही मैंने बार बार पार की है और सूरज से अपने रिश्ते को पहचानने पचाने में ही सारा वक्त निकल गया है और मैं खड़ी हूँ वक्त के उस मोड़ पर अकेली एक शुरूआत की सम्भावना पर विचार करती जहाँ से रोशनी की सम्भावनाएँ समाप्त होती हैं। </sort>