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22:24, 7 दिसम्बर 2010 के समय का अवतरण
गीतिका
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रचनाकार | सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" |
---|---|
प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
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- रँग गई पग-पग धन्य धरा / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- अमरण भर वरण-गान / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- सखि, वसन्त आया / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- (प्रिय) यामिनी जागी / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- मौन रही हार / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- मुझे स्नेह क्या मिल न सकेगा? / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- सोचती अपलक आप खड़ी / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- मातृ वंदना / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- भारती वन्दना / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- प्रिय यामिनी जागी / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- नयनों के डोरे लाल / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- छोड़ दो, जीवन यों न मलो / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- रूखी री यह डाल / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- सखि, वसन्त आया / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- वर्ण-चमत्कार / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- गर्जन से भर दो वन / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- रे, न कुछ हुआ तो क्या ? / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- कौन तम के पार ? / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- अस्ताचल रवि / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- दे, मैं करूँ वरण / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- अनगिनित आ गए शरण में / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- पावन करो नयन ! / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- वर दे वीणावादिनी वर दे ! / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- बन्दूँ, पद सुन्दर तव / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- भारति, जय, विजय करे ! / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- जग का एक देखा तार / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- टूटें सकल बंध / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- बुझे तृष्णाशा-विषानल / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- प्रात तब द्वार पर / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"