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+ | * [[कर कै खाले ले कै देदे उस तै कौण जबर हो सै / लखमीचंद]] | ||
+ | * [[समद ऋषि जी ज्ञानी हो-गे जिसनै वेद विचारा / लखमीचंद]] | ||
+ | * [[कलियुग बोल्या परीक्षित ताहीं, मेरा ओसरा आया / लखमीचंद]] | ||
+ | * [[हो-ग्या इंजन फेल चालण तैं, घंटे बंद, घडी रह-गी / लखमीचंद]] | ||
+ | * [[अरे ज्ञान बिना संसार दुखी, ज्ञान बिना दुःख सुख खेणा / लखमीचंद]] | ||
+ | * [[लाख-चौरासी खतम हुई बीत कल्प-युग चार गए / लखमीचंद]] | ||
+ | * [[एक चिड़िया के दो बच्चे थे, वे दूजी चीड़ी ने मार दिए / लखमीचंद]] | ||
+ | * [[अलख अगोचर अजर अमर अन्तर्यामी असुरारी / लखमीचंद]] | ||
+ | * [[जगह देख कै बाग़ लगा दिया छोटी-छोटी क्यारी / लखमीचंद]] | ||
+ | * [[रै संता सील सबर संतोष श्रधा शर्म समाई सै / लखमीचंद]] | ||
+ | * [[भाईयो बेरा ना के चाला रै ये घडी मै दे सें गर्द मिला / लखमीचंद]] | ||
+ | * [[आधी रात सिखर तैं ढलगी हुया पहर का तड़का / लखमीचंद]] | ||
+ | * [[तेरी झांकी के माहं गोल मारूं मैं बांठ गोफिया सण का / लखमीचंद]] |
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लखमीचंद
जन्म | 1901 |
---|---|
निधन | 1945 |
जन्म स्थान | जाटी गांव, सोनीपत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
लखमीचंद / परिचय |
हरियाणवी रचनाएँ
- हो पिया भीड़ पड़ी मैं / लखमीचंद
- कर जोड़ खड़ी सूं प्रभु लाज राखियो मेरी / लखमीचंद
- देखे मर्द नकारे हों सैं गरज-गरज के प्यारे हों सैं / लखमीचंद
- माता बणकै बेटी जणकै बण मैं गेर गई / लखमीचंद
- दुख मैं बीतैं जिन्दगी न्यूं दिन रात दुखिया की / लखमीचंद
- लाख चौरासी जीया जून मैं नाचै दुनिया सारी / लखमीचंद
- कदे ना सोची आपतै के दो-च्यार आने ले ले / लखमीचंद
- सारा कुणबा भरया उमंग मैं घरां बहोड़िया आई / लखमीचंद
- यो भारत खो दिया फर्क नै इसमैं कोए कोए माणस बाकी सै / लखमीचंद
- मत चालै मेरी गेल तनै घरबार चाहिएगा / लखमीचंद
- लेणा एक ना देणे दो दिलदार बणे हांडै सैं / लखमीचंद
- कर कै खाले ले कै देदे उस तै कौण जबर हो सै / लखमीचंद
- समद ऋषि जी ज्ञानी हो-गे जिसनै वेद विचारा / लखमीचंद
- कलियुग बोल्या परीक्षित ताहीं, मेरा ओसरा आया / लखमीचंद
- हो-ग्या इंजन फेल चालण तैं, घंटे बंद, घडी रह-गी / लखमीचंद
- अरे ज्ञान बिना संसार दुखी, ज्ञान बिना दुःख सुख खेणा / लखमीचंद
- लाख-चौरासी खतम हुई बीत कल्प-युग चार गए / लखमीचंद
- एक चिड़िया के दो बच्चे थे, वे दूजी चीड़ी ने मार दिए / लखमीचंद
- अलख अगोचर अजर अमर अन्तर्यामी असुरारी / लखमीचंद
- जगह देख कै बाग़ लगा दिया छोटी-छोटी क्यारी / लखमीचंद
- रै संता सील सबर संतोष श्रधा शर्म समाई सै / लखमीचंद
- भाईयो बेरा ना के चाला रै ये घडी मै दे सें गर्द मिला / लखमीचंद
- आधी रात सिखर तैं ढलगी हुया पहर का तड़का / लखमीचंद
- तेरी झांकी के माहं गोल मारूं मैं बांठ गोफिया सण का / लखमीचंद