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+ | * [[मैं दीवाल के ऊपर / विनोद कुमार शुक्ल]] | ||
+ | * [[यह दिन उम्र की रोज़ी है / विनोद कुमार शुक्ल]] | ||
+ | * [[राजिम का विष्णु-मंदिर / विनोद कुमार शुक्ल]] | ||
+ | * [[शहर से सोचता हूँ / विनोद कुमार शुक्ल]] | ||
+ | * [[हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था / विनोद कुमार शुक्ल]] |
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मोटा पाठ
विनोद कुमार शुक्ल
जन्म | 01 जनवरी 1937 |
---|---|
जन्म स्थान | राजनांदगाँव, छत्तीसगढ़ |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
लगभग जयहिंद (1971), वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहन कर विचार की तरह (1981), सब कुछ होना बचा रहेगा (1992) | |
विविध | |
वीरसिंह देव पुरस्कार (1979-80), सृजनभारती सम्मान (1992), रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार (1992), भवानीप्रसाद मिश्र पुरस्कार (1992), मध्यप्रदेश शिखर सम्मान (1995) और मैथिलीशरण गुप्त राष्ट्रीय सम्मान (1996) | |
जीवन परिचय | |
विनोद कुमार शुक्ल / परिचय |
कविता-संग्रह
- सब कुछ होना बचा रहेगा / विनोद कुमार शुक्ल
- कविता से लंबी कविता / विनोद कुमार शुक्ल
- वह आदमी नया गरम कोट पहिन कर चला गया विचार की तरह / विनोद कुमार शुक्ल
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- अपने अकेले होने को / विनोद कुमार शुक्ल
- अब इस उम्र में हूँ / विनोद कुमार शुक्ल
- अब कभी मिलना नहीं होगा ऎसा था / विनोद कुमार शुक्ल
- अभी तक बारिश नहीं हुई / विनोद कुमार शुक्ल
- आकाश की तरफ़ / विनोद कुमार शुक्ल
- आकाश से उड़ता हुआ / विनोद कुमार शुक्ल
- उपन्यास में पहले एक कविता रहती थी / विनोद कुमार शुक्ल
- एक अजनबी पक्षी / विनोद कुमार शुक्ल
- कहीं जाने का मन होता है / विनोद कुमार शुक्ल
- कक्षा के काले तख़्ते पर सफ़ेद चाक से बना / विनोद कुमार शुक्ल
- कोई अधूरा पूरा नहीं होता / विनोद कुमार शुक्ल
- घर-बार छोड़कर संन्यास नहीं लूंगा / विनोद कुमार शुक्ल
- चार पेड़ के / विनोद कुमार शुक्ल
- जगह-जगह रुक रही थी यह गाड़ी / विनोद कुमार शुक्ल
- जब बाढ़ आती है / विनोद कुमार शुक्ल
- जब मैं भीम बैठका देखने गया / विनोद कुमार शुक्ल
- जितने सभ्य होते हैं / विनोद कुमार शुक्ल
- तीनों, और चौथा केन्द्र में / विनोद कुमार शुक्ल
- पहाड़ को बुलाने / विनोद कुमार शुक्ल
- बाल कविताएँ / विनोद कुमार शुक्ल
- बोलने में कम से कम बोलूँ / विनोद कुमार शुक्ल
- मैं दीवाल के ऊपर / विनोद कुमार शुक्ल
- यह दिन उम्र की रोज़ी है / विनोद कुमार शुक्ल
- राजिम का विष्णु-मंदिर / विनोद कुमार शुक्ल
- शहर से सोचता हूँ / विनोद कुमार शुक्ल
- हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था / विनोद कुमार शुक्ल