भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मनीष मिश्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
|||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|नाम=मनीष मिश्र | |नाम=मनीष मिश्र | ||
|उपनाम= | |उपनाम= | ||
− | |जन्म=03 | + | |जन्म=03 सितम्बर 1968 |
|जन्मस्थान=फतेहपुर, उत्तरप्रदेश | |जन्मस्थान=फतेहपुर, उत्तरप्रदेश | ||
|मृत्यु= | |मृत्यु= | ||
पंक्ति 14: | पंक्ति 14: | ||
}} | }} | ||
{{KKCatUttarPradesh}} | {{KKCatUttarPradesh}} | ||
− | * '''[[शोर के पड़ोस में चुप सी नदी / मनीष मिश्र]]''' | + | ====कविता संग्रह==== |
− | + | * '''[[शोर के पड़ोस में चुप सी नदी / मनीष मिश्र]]''' | |
+ | ====कविताएँ==== | ||
* [[डायरी के फटे पन्नों में / मनीष मिश्र]] | * [[डायरी के फटे पन्नों में / मनीष मिश्र]] | ||
* [[किताबें / मनीष मिश्र]] | * [[किताबें / मनीष मिश्र]] | ||
पंक्ति 37: | पंक्ति 38: | ||
* [[निर्मल वर्मा की कहानियाँ-2 / मनीष मिश्र]] | * [[निर्मल वर्मा की कहानियाँ-2 / मनीष मिश्र]] | ||
* [[हमें चाहिए खिलखिलाहटों की दो चार जड़े / मनीष मिश्र]] | * [[हमें चाहिए खिलखिलाहटों की दो चार जड़े / मनीष मिश्र]] | ||
− |
00:46, 1 अक्टूबर 2016 के समय का अवतरण
मनीष मिश्र
जन्म | 03 सितम्बर 1968 |
---|---|
जन्म स्थान | फतेहपुर, उत्तरप्रदेश |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
हमें चाहिए खिलखिलाहट की दो चार जड़ें (2001), शोर के पड़ोस में चुप सी नदी (2009) | |
विविध | |
आप लखनऊ में वैज्ञानिक हैं। | |
जीवन परिचय | |
मनीष मिश्र / परिचय |
कविता संग्रह
कविताएँ
- डायरी के फटे पन्नों में / मनीष मिश्र
- किताबें / मनीष मिश्र
- सब कुछ नहीं होता समाप्त / मनीष मिश्र
- उम्र के चालीसवे वसंत में / मनीष मिश्र
- तुम / मनीष मिश्र
- कठिन समय में / मनीष मिश्र
- सफ़ेद फूलों या नीली रातों से / मनीष मिश्र
- कविता बचाएगी हमें / मनीष मिश्र
- खारिज नहीं होगा शब्द / मनीष मिश्र
- रिश्ते / मनीष मिश्र
- तुम जब घर आओगी / मनीष मिश्र
- वो एकदम अलग-सी है / मनीष मिश्र
- हम-1 / मनीष मिश्र
- हम-2 / मनीष मिश्र
- शिलांग-1 / मनीष मिश्र
- सिक्किम / मनीष मिश्र
- बुखार / मनीष मिश्र
- रंग / मनीष मिश्र
- निर्मल वर्मा की कहानियाँ-1 / मनीष मिश्र
- निर्मल वर्मा की कहानियाँ-2 / मनीष मिश्र
- हमें चाहिए खिलखिलाहटों की दो चार जड़े / मनीष मिश्र