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14:50, 20 फ़रवरी 2015 का अवतरण
पुरानी बयाज़ से
| रचनाकार | कांतिमोहन 'सोज़' |
|---|---|
| प्रकाशक | |
| वर्ष | |
| भाषा | हिन्दी |
| विषय | ग़ज़लें और गीत |
| विधा | |
| पृष्ठ | 100 |
| ISBN | |
| विविध |
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- बात तो थी मगर न थे अल्फ़ाज़ / कांतिमोहन 'सोज़'
- है फ़िक्र अब कि तेरी आरज़ू करें न करें / कांतिमोहन 'सोज़'
- या तो हर एक बशर के लिए मय हराम हो / कांतिमोहन 'सोज़'
- चलके लुट जाएँ ग़मे-सूदो-ज़ियां के पहले / कांतिमोहन 'सोज़'
- ये भी किसकी समझ में आया है / कांतिमोहन 'सोज़'
- मैं जानता हूं इधर से तेरा गुज़र भी नहीं / कांतिमोहन 'सोज़'
- करें किस बात का शिकवा भला उससे गिला कैसा / कांतिमोहन 'सोज़'
- लो फिर से जुनूं दिल को सदा देने लगा है / कांतिमोहन 'सोज़'
- तुझसे मायूस तो हो जाऊँ कहाँ जाऊँ मैं / कांतिमोहन 'सोज़'
- ये भी अपना क़ुसूर है यारो / कांतिमोहन 'सोज़'
- सर उठाने की कोई बात तो हो / कांतिमोहन 'सोज़'
- अपना वुजूद बाइसे-तूफ़ां हुआ तो है / कांतिमोहन 'सोज़'
