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"प्रश्नोपनिषद / मृदुल कीर्ति" के अवतरणों में अंतर

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17:04, 27 सितम्बर 2008 का अवतरण

ॐ श्री परमात्मने नमः

शांति पाठ

हे देव गण !कल्याणमय हम वचन कानों से सुनें,
कल्याण ही नेत्रों से देखें , सुदृढ़ अंग बली बनें।
आराधना स्तुति प्रभो की, हम सदा करते रहे,
मम आयु देवों के काम आए , हम नमन करतें रहें।
हे इन्द्र ! मम कल्याण को , कल्याण का पोषण करे,
हे विश्व वेदाः पूषा श्री मय , ज्ञान संवर्धन करें।
हे बृहस्पति ! अरिष्ट नेमिः , स्वस्ति कारक आप हैं।
सब त्रिविध ताप हों शांत जग के, देते जो संताप हैं।