भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बृज नारायण चकबस्त
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:44, 12 फ़रवरी 2016 का अवतरण
बृज नारायण चकबस्त
www.kavitakosh.org/chakbast
www.kavitakosh.org/chakbast
जन्म | 19 जनवरी 1882 |
---|---|
निधन | 12 फ़रवरी 1926 |
जन्म स्थान | फ़ैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
बृज नारायण चकबस्त / परिचय | |
कविता कोश पता | |
www.kavitakosh.org/chakbast |
- ====रामायण का एक सीन (एक लम्बी नज़्म)====
- एक साग़र भी इनायत न हुआ याद रहे / बृज नारायण चकबस्त
- दर्द-ए-दिल पास-ए-वफ़ा जज़्बा-ए-इमाँ होना / बृज नारायण चकबस्त
- फ़ना का होश आना ज़िंदगी का दर्द-ए-सर जाना / बृज नारायण चकबस्त
- ख़ाके-हिन्द (भारत की रज) / बृज नारायण चकबस्त
- वतन का राग / बृज नारायण चकबस्त
- नज़राने रूह / बृज नारायण चकबस्त
- पयामे-वफ़ा / बृज नारायण चकबस्त
- फ़रियादे-क़ौम / बृज नारायण चकबस्त
- फूलमाला / बृज नारायण चकबस्त
- क़ौमी-मुसद्दस / बृज नारायण चकबस्त
ग़ज़लें (मज़हबे-शायराना)
- दिल ही बुझा हुआ हो तो लुत्फ़े-बहार क्या / बृज नारायण चकबस्त
- न कोई दोस्त दुश्मन हो शरीके दर्दे ग़म मेरा / बृज नारायण चकबस्त
- दर्द दिल पासे वफ़ा जज़्ब-ए-ईमाँ होना / बृज नारायण चकबस्त
- फ़ना का होश आना ज़िन्दगी का दर्दे सर जाना / बृज नारायण चकबस्त
- ख़िदमते इन्साँ से दिल को आशना करते रहे / बृज नारायण चकबस्त
- गर्दने ख़म निदामत से दिलाज़ारों की / बृज नारायण चकबस्त
- कभी था नाज़ ज़माने को अपने हिन्द पै भी / बृज नारायण चकबस्त
- कहते हैं जिसे अब्र वो मैख़ाना है मेरा / बृज नारायण चकबस्त
- फ़साना हो गए आज़ार दुश्मन की बुराई के / बृज नारायण चकबस्त
- जहाँ में आँख जो खोली फ़ना को भूल गए / बृज नारायण चकबस्त
- ज़ुबाँ को बन्द करें या मुझे असीर करें / बृज नारायण चकबस्त
- फ़ना नहीं है मुहब्बत के रंगो बू के लिए / बृज नारायण चकबस्त
- किसे मालूम है क्या रंग है बदले अब फ़ुगाँ अपनी / बृज नारायण चकबस्त
- अज़ाँ से नार-ए-नाक़ूस पैदा हो नहीं सकता / बृज नारायण चकबस्त
- अगर दर्दे मुहब्बत से इन्साँ आशना होता / बृज नारायण चकबस्त
- दिल किए तसख़ीर बख़्शा फ़ैज़ रूहानी मुझे / बृज नारायण चकबस्त
- दिल ही की बदौलत रंज भी है / बृज नारायण चकबस्त
- नए झगड़े निराली काविशें ईजाद करते हैं / बृज नारायण चकबस्त