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फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
जन्म | 13 फ़रवरी 1911 |
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निधन | 1984 |
उपनाम | फ़ैज़ |
जन्म स्थान | सियालकोट, पंजाब (अब पाकिस्तान में) |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
नक़्शे-फ़रियादी, दस्ते-सबा, सरे-वादियाँ सीना, दस्ते-तहे-संग | |
विविध | |
फ़ैज़ को नोबेल पुरस्कार के लिये मनोनीत किया गया था। | |
जीवन परिचय | |
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ / परिचय |
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- तुम न आये थे तो हर चीज़ वही थी के जो है / फ़ैज़
- आज बाज़ार में पा-ब-जौला चलो / फ़ैज़
- कब ठहरेगा दर्दे-दिल, कब रात बसर होगी / फ़ैज़
- रंग पैराहन का, खुश्बू जुल्फ लहराने का नाम / फ़ैज़
- वो लोग बोहत खुश-किस्मत थे / फ़ैज़
- आ कि वाबस्ता हैं उस हुस्न की यादें तुझ से / फ़ैज़
- दर्द की रात ढल चली है / फ़ैज़
- नहीं निगाह में मंज़िल / फ़ैज़
- अब वही हर्फ़्-ए-जुनुं सब की ज़ुबां ठहरी है / फ़ैज़
- दोनो जहाँ तेरी मोहब्बत में हार के / फ़ैज़
- बहुत मिला न मिला / फ़ैज़
- ये किस ख़लिश ने / फ़ैज़
- तेरी उम्मीद तेरा इंतज़ार जब से है / फ़ैज़
- कोई आशिक किसी महबूबा से / फ़ैज़
- पहली सी मोहब्बत / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- सुबहे आज़ादी / फ़ैज़
- ये धूप किनारा शाम ढले / फ़ैज़
- अब कहाँ रस्म घर लुटाने की / फ़ैज़
- नहीं विसाल मयस्सर तो आरजू ही सही / फ़ैज़
- बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- जब तेरी समन्दर आँखों में / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- रक़ीब से / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- ढाका से वापसी पर / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- दश्त-ए-तनहाई / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- राज़-ए-उल्फ़त छुपा के देख लिया / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- न गँवाओ नावक-ए-नीम-कश, दिल-ए-रेज़ रेज़ गँवा दिया / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- दुआ - आईये हाथ उठायें हम भी / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- ख़ुदा वो वक़्त न लाये / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- सुबह-ए-आज़ादी - ये दाग़ दाग़ उजाला / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- कुछ इश्क़ किया, कुछ काम किया / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- निसार मैं तेरी गलियों के अए वतन, कि जहाँ / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- आये कुछ अब्र कुछ शराब आये / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- हम पर तुम्हारी चाह का इल्ज़ाम ही तो है / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- तनहाई / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- ईन्तेसाब - आज के नाम / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- सोच - क्यूँ मेरा दिल शाद नहीं है / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- बहार आई तो जैसे एक बार / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- तुम आये हो न शब-ए-इन्तज़ार गुज़री है / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- शाम-ए-फ़िराक़ अब न पूछ आई / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- दिल-ए-मन मुसाफ़िर-ए-मन / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- कब याद में तेरा साथ नहीं / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- दिल में अब यूँ तेरे भूले हुये ग़म आते हैं / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- चश्म-ए-मयगूँ ज़रा इधर कर दे / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- कब तक दिल की ख़ैर मनायें / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- यूँ सजा चांद कि झलका तेरे अंदाज़ का रंग / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- गर्मी-ए-शौक़-ए-नज़्ज़ारा का असर तो देखो / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- कुछ पहले इन आँखों आगे क्या / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- मुझको शिकवा है मेरे भाई / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- कभी कभी याद में उभरते हैं नक़्श-ए-माज़ी मिटे मिटे से / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- तुम जो पल को ठहर जाओ तो ये लम्हें भी / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- तुम मेरे पास रहो फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- कहीं तो कारवान-ए-दर्द की मंज़िल ठहर जाये / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- हम के ठहरे अजनबी इतने मदारातों के बाद / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- मेरे दर्द को जो ज़बाँ मिले / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- वो बुतों ने डाले हैं वस्वसे कि दिलों से ख़ौफ़-ए-ख़ुदा गया / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- सच हैं हमीं को आप के शिकवे बजा न थे / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- नसीब आज़माने के दिन आ रहे हैं / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- सभी कुछ है तेरा दिया हुआ सभी राहतें सभी कलफ़तें / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- तेरे ग़म को जाँ की तलाश थी तेरे जाँ-निसार चले गये / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- हम सादा ही ऐसे थे, की यूँ ही पज़ीराई / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- रौशन कहीं बहार के इम्काँ हुये तो हैं / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- ये किस ख़लिश ने फिर इस दिल में आशियाना किया / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- ख़्वाब-बसेरा - इस वक़्त तो यूँ लगता है / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- चंद रोज़ और मेरी जान फ़क़त / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- गो सब को बा-हम साग़र-ओ-बादा तो नहीं था / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- हम परवरिश-ए-लौह-ओ-क़लम करते रहेंगे / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- अब वही हर्फ़-ए-जुनूँ सब की ज़ुबाँ ठहरी है / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- कुछ मुहतसिबों की ख़िलवत में कुछ / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- ख़ुर्शीद-ए-महशर की लौ फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- क्या करें - मेरी तेरी निगाह में फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- कुछ दिन से इन्तज़ार-ए-सवाल-ए-दिगर में है / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- चांद निकले किसी जानिब तेरी ज़ेबाई का / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- सुनने को भीड़ है सर-ए-महशर लगी हुई / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- हिम्मत-ए-इल्तिजा नहीं बाक़ी / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- हर हक़ीक़त मजाज़ हो जाये / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- शैख़ साहब से रस्म-ओ-राह न की / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- वो बुतों ने डाले हैं वसबसे / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- मैं नहीं या वफ़ा नहीं बाक़ी / फ़ैज़
- तुम क्या गये के रूठ गये दिन बहार के / फ़ैज़
- वो बेख़बर ही सही, इतने बेख़बर भी नहीं / फ़ैज़
- आपसे दिल लगा के देख लिया / फ़ैज़
- जाने किस-किस को आज रो बैठे / फ़ैज़
- कुछ कहती है हर राह हर इक राहगुज़र से / फ़ैज़
- मगर दिल है के उसकी ख़ाना वीरानी नहीं जाती / फ़ैज़
- वो जब मिले हैं / फ़ैज़
- तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं / फ़ैज़
- सहर क़रीब है दिल से कहो ना घबराये / फ़ैज़
- दिल में अब यूँ तेरे भूले हुए ग़म याद आते हैं/ फ़ैज़
- जो भी चल निकली है वो बात कहाँ ठहरी है / फ़ैज़
- रहबर से अपनी राह जुदा कर चले हैं हम / फ़ैज़
- तुझ को चाहा तो और चाह ना की / फ़ैज़
- दर्द का चाँद बुझ गया हिज्र की रात ढल गई / फ़ैज़
- ये जान तो आनी-जानी है / फ़ैज़
- चले भी आओ के गुलशन का कारोबार चले / फ़ैज़
- बेदम हुए बीमार दवा क्यूँ नहीं देते / फ़ैज़
- जिन्हें जुर्म-ए-इश्क़ पे नाज़ था / फ़ैज़
- जो कहा तु सुन के उड़ा दिया / फ़ैज़
- फिर शब-ए-वस्ल मुलाकात न होने पायी/ फ़ैज़
- किनारे आ लगे उम्र-ए-रवाँ / फ़ैज़
- बुझ जायेगी यँ भी / फ़ैज़
- कभी हयात कभी मय हराम होती रही / फ़ैज़
- अपने ज़िम्मे है तेरा क़र्ज़ ना जाने कब से/ फ़ैज़
- सहा तो क्या ना सहा / फ़ैज़
- चादंनी दिल दुखाती रही रात भर / फ़ैज़
- उसी अंदाज़ से चल बाद-ए-सबा आख़िर-ए-शब / फ़ैज़
- एक दकनी ग़ज़ल / फ़ैज़
- बाज़ी है अब के जान से बढ़कर लगी हुई / फ़ैज़
- हर क़दम हमने आशिकी की है / फ़ैज़
- हम तुमसे पहले भी यहाँ मंसूर हुए फ़रहाद हुए/ फ़ैज़
- किसी रास्ते में है मुंतजिर वो सुकूँ जो आके चला गया / फ़ैज़
- आने वालों से कहो हम तो गुज़र जायेंगे / फ़ैज़
- कल जहाँ क़त्ल हुए थे इसी तलवार से हम/ फ़ैज़
- कुछ रौशनी बाक़ी तो है हरचंद के कम है / फ़ैज़
- ये शहर उदास इतना ज़्यादा तो नहीं था / फ़ैज़
- मेरे क़ातिल मेरे दिलदार / फ़ैज़
- फिर कोई आया दिल-ए-ज़ार / फ़ैज़
- हम देखेंगे / फ़ैज़
- दोनों जहान तेरी मुहब्बत में हार के / फ़ैज़
- दिल में अब यूँ तेरे भूले हुए ग़म आते हैं / फ़ैज़
- बेदम हुए बीमार दवा क्यों नहीं देते / फ़ैज़
- सितम सिखलाएगा रस्मे-वफ़ा ऐसे नहीं होता / फ़ैज़
- हमने सब शेर में सँवारे थे / फ़ैज़
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