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मतिराम
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मतिराम
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जन्म | 1617 |
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निधन | 1736 |
जन्म स्थान | |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
फूल-मंजरी, ललित-ललाम, मतिराम-सतसई, रसराज। | |
विविध | |
ये भूषण, चिंतामणि और नीलकंठ के भाई थे। | |
जीवन परिचय | |
मतिराम / परिचय |
- दूसरे की बात सुनि परत न ऐसी जहाँ / मतिराम
- याही को पठाई बड़ो काम करि आई बड़ी / मतिराम
- आवत मैँ सपने हरि को लखि / मतिराम
- बारनि धूपि अँगारनि धूप कैँ धूम / मतिराम
- साँझ ही ते करि राखै सबै करिबे के / मतिराम
- सुँदर बदन राधे सोभा को सदन तेरौ / मतिराम
- चरन धरै न भूमि बिहरै तहाँई जहाँ / मतिराम
- सहज सुबासयुत देह की दुगुनि दुति / मतिराम
- केलि की राति अघाने नहीँ दिन ही मे / मतिराम
- पाँव धरे दुलही जिहि ठौर रहे / मतिराम
- जावक लिलार ओँठ अँजन की लीक सोहै / मतिराम
- कोऊ नहीँ बरजै मतिराम रहौ तितही / मतिराम
- बरज्यो न मानत है बार बार बरज्यो मैं / मतिराम
- पायन आनि परे तो परे रहै / मतिराम
- सोने की सी बेली अति सुँदर नबेली बाल / मतिराम
- प्रान पियारो मिल्यो सपने मैं / मतिराम
- कुंदन को रँगु फीको लगै / मतिराम
- जा दिन तैं छवि सौं मुसुकात / मतिराम
- केलि की राति अघाने नहीं / मतिराम
- सोय रहि रति-अन्त रसीली / मतिराम
- सो मनमोहन होत लटु / मतिराम
- प्रीतम आए प्रभात प्रिया / मतिराम
- रावरे नेह को लाज तजी अरु / मतिराम
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