करूणा भरल ई गीत हम्मर

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| रचनाकार | धीरेन्द्र | 
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| प्रकाशक | साधना प्रकाशन, लोहना (मधुबनी) | 
| वर्ष | |
| भाषा | मैथिली | 
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इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- करूणा भरल ई गीत हम्मर.. / धीरेन्द्र
 - छोड़ह आब आश सखे, स्वाती ! / धीरेन्द्र
 - सुन्न नगर, अनजान डगर / धीरेन्द्र
 - लिखलहुँ गीत आइ धरि जतबा / धीरेन्द्र
 - चलत जा रहल छी कि लक्ष्यो ठेकानल / धीरेन्द्र
 - अपनासँ घेराएल एकाकी ! / धीरेन्द्र
 - कहि रहल अछि मोन हम्मर राति जएते बीति / धीरेन्द्र
 - अन्हर तूफान सावधान हम किए रहू ? / धीरेन्द्र
 - तार टूटल भेल की झंकार बाँकी अछि ? / धीरेन्द्र
 - कानय मोन आ हँसय ठोर ई / धीरेन्द्र
 - हम नेह नगरकेर बासी छी / धीरेन्द्र
 - आखर-आखर मे आँकल अछि अपन हृदयकेर भावना / धीरेन्द्र
 - ने टोकू ई सपना जँ हम देखै छी / धीरेन्द्र
 - ज्योतिक आराधक बदनाम पूरा / धीरेन्द्र
 - पसरल डगर आ असगर बनल हम / धीरेन्द्र
 - भग्न वीणासँ ने पूछह राग वा कि रागिनी / धीरेन्द्र
 - रोकऽ ! ने तीतय पलकपट हे मीता ! / धीरेन्द्र
 - तापित हृदय-तल प्रखर अग्नि बोधो / धीरेन्द्र
 - कतबो खसय नोर मोनक फलकपर / धीरेन्द्र
 - कठिन अछि ने कम ई हाटो उसारब। / धीरेन्द्र
 - कहह नहि जे थाकि गेलहुँ ! / धीरेन्द्र
 - स्वप्न देखी ओना नखलिस्तानकेर हम / धीरेन्द्र
 - एक दिन बीति गेल, ओहिना अनेरें / धीरेन्द्र
 - कहल की तों मारि सकबह? / धीरेन्द्र
 - देखऽ कि हीलि रहल नीम केर ठुहरी / धीरेन्द्र
 - घुरऽ हे घूरऽ संगी ! मिथिलाक पूत तोंही !! / धीरेन्द्र
 - आएल मास हेमन्त आ कि गाम पड़ि गेल मोन यौ / धीरेन्द्र
 - ठोरक ई मुस्की छीनय ने दुनियाँ ! / धीरेन्द्र
 - बारह संगी दीप, अन्हरिया काटि रहल अछि / धीरेन्द्र
 - को करू ठीके टुटल सितार हम्मर / धीरेन्द्र