भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पनघट के गीत / हरियाणवी
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:47, 9 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=हरियाणवी |रचनाकार= |संग्रह= }} {{KKCatHaryanaviRach...' के साथ नया पन्ना बनाया)
हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
- मेरी नाजुक नरम कलाई रे / हरियाणवी
- पनियां भरन चली बांकी रसीली / हरियाणवी
- खिल रहा चान्द लटक रहे तारे / हरियाणवी
- रसीले नैन गोरी के रे / हरियाणवी
- मैं तो धुर टांडे तै आया परी / हरियाणवी
- अंबर बरसा बड़ा चिवा मेरी सासड़ / हरियाणवी
- मेरा मन ते रपटा पैर फूट गई झारी / हरियाणवी
- मेरे सीस पै घड़ा घड़े पै झारी / हरियाणवी
- चारों सखी चारों ही पनियां को जायें / हरियाणवी
- मुझे पानी को जाने दो / हरियाणवी
- कोई सात जणी पाणी जायं री / हरियाणवी
- मेरी बावन गज की बूंद / हरियाणवी
- टोकणी पीतल की रे / हरियाणवी
- सिर पर दोगढ़ ठा नणद री / हरियाणवी
- सिर पै बंटा टोकणी / हरियाणवी
- तू पाणी पाणी कर रह्या बटेऊ / हरियाणवी
- हे री सासड़ आजपाणी नै जांगी / हरियाणवी
- उठ उठ री नणदल पानी ने चाल / हरियाणवी