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ग्वाल
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ग्वाल
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| जन्म | 1791 | 
|---|---|
| निधन | 1871 | 
| जन्म स्थान | वृंदावन | 
| कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
| यमुना लहरी,रसिकानंद,रसरंग,कृष्णजू को नखशिख,दूषनदर्पण,राधामाधव मिलन, राधा अष्टक आदि | |
| विविध | |
| रीतिकाल के कवि | |
| जीवन परिचय | |
| ग्वाल / परिचय | |
प्रतिनिधि रचनाएँ
- को रति है अरु कौन रमा उमा छूटी लटैँ निचुरैँ गुयीँ मोती / ग्वाल
 - झर झर झाँपै बड़े दर दर ढ़ाँपै नापै / ग्वाल
 - जैसे कान्ह जान तैसे उद्धव सुजान आए / ग्वाल
 - जेठ को न त्रास, जाके पास ये बिलास होंय / ग्वाल
 - प्यारी आउ छात पै निहारि नए कौतुक / ग्वाल
 - फाग मैं, कि बाग मैं, कि भाग मैं रही है भरि / ग्वाल
 - चाहिए जरूर इनसानियत मानुस को / ग्वाल
 - ग्रीषम की गजब धुकी है धूप धाम-धाम / ग्वाल
 - पाय रितु ग्रीषम बिछायत बनाय, वेष / ग्वाल
 - सूरज-सुता के तेज तरल तरंग ताकि / ग्वाल
 - ग्रीषम की पीर के विदीर के सुनो ये साज / ग्वाल
 - बरफ-सिलान की बिछायत बनाय करि/ ग्वाल
 - मेष-वृष तरनि तचाइन के त्रासन तें / ग्वाल
 - मोरन की सोरन की नैको न मरोर रही / ग्वाल
 - जाकी खूबखूबी खूब खूबन की खूबी यहाँ / ग्वाल
 - दिया है खुदा ने खूब खुसी करो ग्वाल कवि / ग्वाल
 
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