बालकाण्ड
- आज सुदिन सुभ घरी सुहाई / तुलसीदास
- सहेली सुनु सोहिलो रे / तुलसीदास
- आजु महामङ्गल कोसलपुर सुनि नृपके सुत चारि भए / तुलसीदास
- गावैं बिबुध बिमल बर बानी / तुलसीदास
- घर-घर अवध बधावने मङ्गल-साज-समाज / तुलसीदास
नामकरण
दुलार
- सुभग सेज सोभित कौसिल्या रुचिर राम-सिसु गोद लिये / तुलसीदास
- ह्वै हौ लाल कबहिं बड़े बलि मैया / तुलसीदास
- चुपरि उबटि अनाहवाइकै नयन आँजे / तुलसीदास
- आजु अनरसे हैं भोरके, पय पियत न नीके / तुलसीदास
- या सिसुके गुन नाम-बड़ाई / तुलसीदास
- अवध आजु आगमी एकु आयो / तुलसीदास
- पौढ़िये लालन, पालने हौं झुलावौं / तुलसीदास
- कनक-रतनमय पालनो रच्यो मनहुँ मार-सुतहार / तुलसीदास
- पालने रघुपति झुलावै / तुलसीदास
- झूलत राम पालने सोहैं / तुलसीदास
- राजत सिसुरूप राम सकल गुन-निकाय-धाम / तुलसीदास
- आँगन फिरत घुटुरुवनि धाए / तुलसीदास
- रघुबर बाल छबि कहौं बरनि / तुलसीदास
- भूमितल भूपके बड़े भाग / तुलसीदास
- छँगन मँगन अँगना खेलत चारु चार्यो भाई / तुलसीदास
- आँगन खेलत आनँदकन्द / तुलसीदास
- ललित सुतहि लालति सचु पाये / तुलसीदास
- छोटी छोटी गोड़ियाँ अँगुरियाँ छबीलीं छोटी / तुलसीदास
- सोहत सहज सुहाये नैन / तुलसीदास
- भोर भयो जागहु, रघुनन्दन / तुलसीदास
- प्रात भयो तात, बलि मातु बिधु-बदनपर / तुलसीदास
- जागिये कृपानिधान जानराय रामचन्द्र / तुलसीदास
- बिलखित कुमुदनि, चकोर, चक्रवाक हरष भोर / तुलसीदास
- खेलन चलिये आनँदकन्द / तुलसीदास
- बिहरत अवध-बीथिन राम / तुलसीदास
- जैसे राम ललित तैसे लोने लषन लालु / तुलसीदास
- ललित-ललित लघु-लघु धनु-सर कर / तुलसीदास
- छोटिऐ धनुहियाँ, पनहियाँ पगनि छोटी / तुलसीदास
- राम-लषन इक ओर, भरत-रिपुदवन लाल इक ओर भये / तुलसीदास
- खेलि खेल सुखेलनिहारे / तुलसीदास
विश्र्वामित्रजी का आगमन
- चहत महामुनि जाग जयो / तुलसीदास
- आजु सकल सुकृत फलु पाइहौं / तुलसीदास
- देखि मुनि! रावरे पद आज / तुलसीदास
- राजन! राम-लषन जो दीजै / तुलसीदास
- रहे ठगिसे नृपति सुनि मुनिबरके बयन / तुलसीदास
- ऋषि सँग हरषि चले दोउ भाई / तुलसीदास
- दोउ राजसुवन राजत मुनिके सङ्ग / तुलसीदास
- मुनि के सङ्ग बिराजत बीर / तुलसीदास
- सोहत मग मुनि सँग दोउ भाई / तुलसीदास
- मञ्जुल मङ्गलमय नृप-ढोटा / तुलसीदास
अहल्योद्धार
- रामपद-पदुम-पराग परी / तुलसीदास
- परत पद-पङ्कज ऋषि-रवनी / तुलसीदास
- भूरिभाग-भाजनु भई / तुलसीदास
- कौसिकके मखके रखवारे / तुलसीदास
जनकपुर-प्रवेश
- आये सुनि कौसिक जनक हरषाने हैं / तुलसीदास
- कोसलरायके कुअँरोटा / तुलसीदास
- ये अवधेसके सुत दोऊ / तुलसीदास
- बूझत जनक नाथ, ढोटा दोउ काके हैं? / तुलसीदास
- ए कौन कहाँतें आए? / तुलसीदास
- कौसिक कृपालहूको पुलकित तनु भौ / तुलसीदास
- चार्यो भले बेटा देव दसरथ रायके / तुलसीदास
- ये दोऊ दसरथके बारे / तुलसीदास
- जनक बिलोकि बार-बार रघुबरको / तुलसीदास
- रङ्ग-भूमि भोरे ही जाइकै / तुलसीदास
पुष्पवाटिका में
रङ्गभूमि में
- रङ्गभूमि आए, दसरथके किसोर हैं / तुलसीदास
- एई राम-लषन जे मुनि-सँग आये हैं / तुलसीदास
- / तुलसीदास
- / तुलसीदास
- / तुलसीदास
- / तुलसीदास
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