रमेश तन्हा
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जन्म | |
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रमेश तन्हा / परिचय |
रचना संग्रह
ग़ज़लें
- इक चमकते हुए अहसास की जौदत हूँ मैं / रमेश तन्हा
- यूँ तो इक ज़माने से, बे-रफ़ीक़ो तन्हा हूँ / रमेश तन्हा
- बाहर ख़ला है, ज़ात के अंदर भी कुछ नहीं / रमेश तन्हा
- नागहां ऐसा भी क्या हो गया बेज़ा मुझ से / रमेश तन्हा
- उट्ठा है जो तूफ़ान, ज़रा थम भी तो जाये / रमेश तन्हा
- चांद भी ज़र्द-रू हुआ, तारों में भी ज़िया नहीं / रमेश तन्हा
- गायब थी मंज़िलें कहीं रस्ते धुआँ धुआँ / रमेश तन्हा
- पहले ख़ुद को आइने जैसा करो / रमेश तन्हा
- वस्ल क्या चीज़ है जुदाई क्या? / रमेश तन्हा
- मिरी ज़िन्दगी दर्द की सान है / रमेश तन्हा
- हमारी राह में ये आ गये शजर कैसे / रमेश तन्हा
- यूँ तो औरों से उसे प्यार भी हो सकता है / रमेश तन्हा
- शहर के लोग जुदा, शहर का किरदार जुदा / रमेश तन्हा
- हक़ीक़तों को भी उसने सराब ही लिक्खा / रमेश तन्हा
- क्या बनी बात अगर बात बनाई न गई / रमेश तन्हा
- मौत से हो कि न हो, खुद से हिरासां है बहुत / रमेश तन्हा
- ये चीख़ चीख़ के कहता है तजरिबा मेरा / रमेश तन्हा
- इक ठंडी धूप भी शामिल थी अब के सायों की तबाही में / रमेश तन्हा
- यही नहीं कि हम ही जिस्मो-जां की क़ैद में हैं / रमेश तन्हा
- ना-रसी देख कर ज़माने की / रमेश तन्हा
- खुद से मफ़र की राह मिरी ज़ात में नहीं / रमेश तन्हा
- यों तो थे हर नज़र में किनारों के ख़द्दो -ख़ाल / रमेश तन्हा
- ज़िन्दगी है कि है कोई सपना / रमेश तन्हा