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क़दम मिलाके चलो / कांतिमोहन 'सोज़'
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क़दम मिलाके चलो
रचनाकार | कांतिमोहन 'सोज़' |
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प्रकाशक | |
वर्ष | 1982 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | नज़्में और गीत |
विधा | |
पृष्ठ | 80 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- बोल मजूरे हल्ला बोल / कांतिमोहन 'सोज़'
- जागो रे मज़दूर किसान / कांतिमोहन 'सोज़'
- आ साथी बढ़े चलें ! / कांतिमोहन 'सोज़'
- चक्का जाम हुआ भई चक्का जाम हुआ ! / कांतिमोहन 'सोज़'
- फ़सल कटाई का गीत / कांतिमोहन 'सोज़'
- मई दिवस का गीत / कांतिमोहन 'सोज़'
- रेल-हड़ताल का गीत / कांतिमोहन 'सोज़'
- बिहार आन्दोलन का गीत / कांतिमोहन 'सोज़'
- इमरजेंसी का गीत / कांतिमोहन 'सोज़'
- नौजवानों से / कांतिमोहन 'सोज़'
- अब आगे बढ़ते जाएंगे मज़दूर-किसान हमारे / कांतिमोहन 'सोज़'
- लाल है परचम नीचे हँसिया ऊपर सधा हथौड़ा है / कांतिमोहन 'सोज़'
- क्रान्ति का गीत / कांतिमोहन 'सोज़'
- आ क़दम मिलाकर चल, चल क़दम मिलाकर चल / कांतिमोहन 'सोज़'
- क़दम बढ़ेंगे गिर-गिरके उठेंगे उठ-उठके चलेंगे आ साथी ! / कांतिमोहन 'सोज़'
- क़िस्मत के नहीं हिकमत के धनी दौलत के नहीं हिम्मत के धनी / कांतिमोहन 'सोज़'
- मंज़िलें दूर हैं पैर मजबूर हैं / कांतिमोहन 'सोज़'
- छब्बीस जनवरी आती है छब्बीस जनवरी जाती है / कांतिमोहन 'सोज़'
- मज़दूर एकता के बल पर हर ताक़त से टकराएँगे / कांतिमोहन 'सोज़'
- जितने भी हुए हैं ज़ुल्मो-सितम / कांतिमोहन 'सोज़'
- जाग उठा मज़दूर रे साथी जाग उठा मज़दूर / कांतिमोहन 'सोज़'