भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हेनरिख हायने
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:41, 12 मई 2018 का अवतरण (→प्रतिभा उपाध्याय द्वारा अनूदित)
हेनरिख हायने
जन्म | 13 दिसम्बर 1797 |
---|---|
निधन | 17 फ़रवरी 1856 |
जन्म स्थान | ड्यूसलडोर्फ़, जर्मनी |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
गीतों की क़िताब | |
विविध | |
कार्ल मार्क्स के मित्र और अग्रज साथी। कविता के अलावा आलोचना भी लिखी। साहित्य में दुरुह जर्मन भाषा की जगह सहज भाषा का उपयोग आरम्भ करने वाले कवि। | |
जीवन परिचय | |
हेनरिख हायने / परिचय |
विषय सूची
अनिल जनविजय द्वारा अनूदित
- बिछोह से पहले वे दोनों / हेनरिख हायने
- वहाँ ढोल ताशे बज रहे हैं / हेनरिख हायने
- जैसा तूने किया मेरे साथ / हेनरिख हायने
- उन्होंने मेरे दिन सारे काले कर दिए / हेनरिख हायने
- अपनी माँ के लिए / हेनरिख हायने