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मैंने कितना दर्द सहा है / नन्दी लाल
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मैंने कितना दर्द सहा है
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रचनाकार | नन्दी लाल |
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इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- पौधे-पौधे को जल देने क्यारी-क्यारी जाती है / नन्दी लाल
- कह रहा हूँ सच सभी खाकर कसम भगवान की / नन्दी लाल
- नहा करके जहां माहौल घर घर का बदलता है। / नन्दी लाल
- अदाकारी पुरानी यार दिखलाने लगे फिर से / नन्दी लाल
- जुबानों पर पड़े हर शख्स के ताले वहाँ पर है / नन्दी लाल
- तुम्हारी याद आयी तो तुम्हारें घर चला आया / नन्दी लाल
- दे दिया दर्द हुस्न वाले ने / नन्दी लाल
- चिट्ठियाँ प्यार की जला आये / नन्दी लाल
- बीज आपस में हया के प्यार के बो कर जिया / नन्दी लाल
- मोहब्बत पर हमारी इस तरह पहरा किया किसने / नन्दी लाल
- खुशी से द्वार पर दरबान की कीमत चुका करके / नन्दी लाल