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तेवरी / ऋषभ देव शर्मा
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तेवरी
रचनाकार | ऋषभ देव शर्मा |
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प्रकाशक | तेवरी प्रकाशन, खतौली |
वर्ष | 1982 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | तेवरी |
पृष्ठ | 112 |
ISBN | |
विविध | डॉ. देवराज की तेवरियाँ भी सम्मिलित. प्रथम खंड 'डाकिया' (देवराज की चालीस तेवरियाँ). द्वितीय खंड 'गुलेल' (ऋषभ देव शर्मा की चालीस तेवरियाँ). इसी पुस्तक की भूमिका के द्वारा तेवरी काव्यान्दोलन की आधिकारिक घोषणा की गई. |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
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- हमलावर शेरों को चिंता में डाला है / ऋषभ देव शर्मा
- टॉमियों औ' रूबियों को टॉफियाँ वे बाँटते हैं / ऋषभ देव शर्मा
- हो गए हैं आप तो ऋतुराज होली में / ऋषभ देव शर्मा
- हो रही है बाँझ धरती मेह बरसो रे / ऋषभ देव शर्मा
- गाँव, घर, नगर-नगर भूमि की पुकार / ऋषभ देव शर्मा
- गाँव खेतों-क्यारियों में बोलता है / ऋषभ देव शर्मा
- पाँव का कालीन उनके हो गया मेरा शहर / ऋषभ देव शर्मा
- बंधु तुम्हारे शहर में फैला कैसा रोग / ऋषभ देव शर्मा
- मौन बैठे तोड़कर निब जज सभी / ऋषभ देव शर्मा
- मूल्यों को शूली मिली विश्वासों को जेल / ऋषभ देव शर्मा
- घुला लहू में ज़हर देहली / ऋषभ देव शर्मा
- अंधी ह राजधानी बहरी ह राजधानी / ऋषभ देव शर्मा
- घर दुकान बंद है / ऋषभ देव शर्मा
- अम्मृत के आश्वासन देना नादानी है / ऋषभ देव शर्मा
- हर रात घिरे जलना, हर एक दिवस तपना / ऋषभ देव शर्मा
- रेखाओं के चक्रव्यूह में स्वयं बिंदु ही कैद हो गया / ऋषभ देव शर्मा
- बाँस का झुरमुट बजाता सीटियाँ / ऋषभ देव शर्मा
- आँखों में तेजाब बन गए जितने क्वाँरे स्वप्न सजाए / ऋषभ देव शर्मा
- यूँ जवानी खो रहा है आदमी / ऋषभ देव शर्मा
- पसीना हलाल करो / ऋषभ देव शर्मा
- अब तो उलटना नकाब होगा / ऋषभ देव शर्मा
- मंचों को छोडो सड़कों प उतर आओ / ऋषभ देव शर्मा
- सबका झंडा एक तिरंगा होने दो / ऋषभ देव शर्मा
- चौराहों पर पिटी डौंडियाँ गली गली विज्ञापन है / ऋषभ देव शर्मा
- देवताओं को रिझाया जा रहा है / ऋषभ देव शर्मा
- कत्ल इन्होंने करवाए हैं / ऋषभ देव शर्मा
- नाग की बाँबी खुली है आइये साहब / ऋषभ देव शर्मा
- टोपी वाले नटवर नागर मेरे तुम्हें प्रणाम / ऋषभ देव शर्मा
- कालकूट पी कौन जिया है गली गली में चर्चा है / ऋषभ देव शर्मा
- गीत हैं मेरे सभी उनको सुनाने के लिए / ऋषभ देव शर्मा
- कुर्सी बनी कुलदेवता इस खानदान की / ऋषभ देव शर्मा
- हादसे अब घटने चाहिएँ / ऋषभ देव शर्मा
- जलती बारूद बनो अब बुर्जों पर छाओ रे / ऋषभ देव शर्मा
- जितना है खुशपोश पलंग / ऋषभ देव शर्मा
- शोलों से भरी हुई शब्दों की झोली हो / ऋषभ देव शर्मा
- लो दिवाली की बधाई मित्रवर / ऋषभ देव शर्मा
- रोशनी जल की परी है, दीपमाला है / ऋषभ देव शर्मा
- आपकी ये हवेली बड़ी / ऋषभ देव शर्मा
- कुछ सुनाओ आज तो बातें सितारों की / ऋषभ देव शर्मा
- ईंट, ढेले, गोलियाँ, पत्थर गुलेलें हैं / ऋषभ देव शर्मा
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