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खेती-बाड़ी के गीत / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
- धरती माता नै हर्यो कर्यो / हरियाणवी
- बनवारी हो लाल कोन्या थारै सारै / हरियाणवी
- हालिड़े हालिड़े हल घड़वा ले ओरणा / हरियाणवी
- बाजरे की रोटी पोई रे हालिड़ा / हरियाणवी
- कात्यक बदी अमावस आई / हरियाणवी
- उड़ जा रे कागा लेजा रे तागा / हरियाणवी
- बोया बोया री मां मेरी बणी / हरियाणवी
- ऊपरां बादलिड़ा ऊपरां क्यूं जा / हरियाणवी
- ईख नलाई के फल पाई / हरियाणवी
- बोहत सताई ईखड़े तन्नै बोहत सताई रे / हरियाणवी
- पांच पंचास की नाथ घड़ाई / हरियाणवी
- अरे न्यूं रोवै बुड्ढा बैल / हरियाणवी
- न्यूं कह रही धौली गाय / हरियाणवी
- ताकतवर बलवान बना / हरियाणवी
- पड़ते अकाल जुलाहे मरे / हरियाणवी
- एक रोटी को बैल बिका / हरियाणवी
- पड़ा रहा छपपनियां का काल / हरियाणवी