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"पूँजी और सत्ता के ख़िलाफ़ / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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* [[सिर्फ़ महलों को बचाती इस व्यवस्था के ख़िलाफ़ / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[इक दिन बिकने लग जाएँगे बादल-वादल सब / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[कहीं भी आसमाँ पे मील का पत्थर नहीं होता / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[जब-जब तुम्हारे पाँव ने रस्ता बदल दिया / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[ख़ुदा के साथ यहाँ राम हमनिवाला है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[सूट-बूट को नायक झुग्गियाँ समझती हैं / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[जो कह न सके सच वो महज़ नाम का शाइर / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[रोटी की रेडियस, जो तिहाई हुई, तो है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[हों ज़ुल्म बेहिसाब तो लोहा उठाइये / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[अपनी ताक़त के बलबूते हाथी ज़िन्दा है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[हो ख़ुशी या ग़म या मातम, जो भी है यहीं अभी है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[देख तेरे संसार की हालत सब्र छूटने लगता है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[ये झूठ है अल्लाह ने इंसान बनाया / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[अच्छी बात वही जिसको मर्ज़ी अपनाती है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[वक़्त आ गया दुःस्वप्नों के सच होने का / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[जगत में पाप जो पर्वत समान करते हैं / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[पुल के ऊपर से जाते जो गहराई से घबराते हैं / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[जब धरती पर रावण राजा बनकर आता है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[जाल सहरा पे डाले गये / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[प्रबंधन का अब उसको, सलीक़ा हो गया है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[जैसे मछली की हड्डी खाने वाले को काँटा है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[अमीरी बेवफ़ा मौका मिले तो छोड़ जाती है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[रक्षक स्वयं हो चोर तो लोहा उठाइए / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[मैं तो नेता हूँ जो मिल जाए जिधर, खा जाऊँ / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[बरसात प्यार की हो सारा जहाँ सजल हो / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[था हरा और भरा साँवला कोयला / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[जहाँ जीने की आस रहती है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[तेज़ दिमाग़ों को रोबोट बनाते हैं हम / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[धूप से लड़ते हुए यदि मर कभी जाता है वो / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[क्या-क्या न करे देखिए पूँजी मेरे आगे / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[दर्द-ए-मज़्लूम जिसने समझा है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[बिखर जाएँ चूमें तुम्हारे क़दम / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[दिल के ज़ख़्मों को चलो ऐसे सँभाला जाए / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[आदमी की ज़िन्दगी है दफ़्तरों के हाथ में / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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* [[महीनों तक तुम्हारे प्यार में इसको पकाया है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
 
* [[महीनों तक तुम्हारे प्यार में इसको पकाया है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]

21:31, 4 अप्रैल 2018 का अवतरण


पूँजी और सत्ता के ख़िलाफ़
Punji aur satta ke khilaf.jpg
रचनाकार 'सज्जन' धर्मेन्द्र
प्रकाशक अंजुमन प्रकाशन, 942 आर्य कन्या चौराहा, मुट्ठीगंज, इलाहाबाद-211003, उत्तर प्रदेश, भारत
वर्ष 2017
भाषा हिन्दी
विषय ग़ज़ल संग्रह
विधा ग़ज़ल
पृष्ठ 127
ISBN 978-93-86027-71-9
विविध
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पहला भाग : 34 ग़ज़लें