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नवाब मिर्ज़ा ख़ाँ
जन्म | 1831 |
---|---|
निधन | 1905 |
उपनाम | दाग़ देहलवी |
जन्म स्थान | लाल क़िला, दिल्ली। |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
दाग़ 'बहादुर शाह ज़फ़र' के पोते थे। | |
जीवन परिचय | |
दाग़ देहलवी / परिचय |
रचनाएँ
- मुमकिन नहीं कि तेरी मुहब्बत की बू न हो / दाग़ देहलवी
- रू-ए- अनवर नहीं देखा जाता / दाग़ देहलवी
- ले चला जान मेरी रूठ के जाना तेरा / दाग़ देहलवी
- आफत की शोख़ियां हैं / दाग़ देहलवी
- न बदले आदमी जन्नत से भी बैतुल-हज़न अपना / दाग़ देहलवी
- तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किस का था / दाग़ देहलवी
- रंज की जब गुफ्तगू होने लगी / दाग़ देहलवी
- दिल को क्या हो गया ख़ुदा जाने / दाग़ देहलवी
- अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता / दाग़ देहलवी
- उज्र् आने में भी है और बुलाते भी नहीं / दाग़ देहलवी
- दिल गया तुम ने लिया हम क्या करें / दाग़ देहलवी
- डरते हैं चश्म-ओ-ज़ुल्फ़, निगाह-ओ-अदा से हम / दाग़ देहलवी
- फिरे राह से वो यहां आते आते / दाग़ देहलवी
- काबे की है हवस कभी कू-ए-बुतां की है / दाग़ देहलवी
- लुत्फ़ इश्क़ में पाए हैं कि जी जानता है / दाग़ देहलवी
- पुकारती है ख़ामोशी मेरी फ़ुगां की तरह / दाग़ देहलवी
- ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया / दाग़ देहलवी
- उनके एक जां-निसार हम भी हैं / दाग़ देहलवी
- ग़ज़ब किया, तेरे वादे पे ऐतबार किया / दाग़ देहलवी
- रस्म-ए-उल्फ़त सिखा गया कोई / दाग़ देहलवी
- इस अदा से वो वफ़ा करते हैं / दाग़ देहलवी
- पर्दे-पर्दे में आताब अच्छे नहीं / दाग़ देहलवी
- न जाओ हाल-ए-दिल-ए-ज़ार देखते जाओ / दाग़ देहलवी
- कहाँ थे रात को हमसे ज़रा निगाह मिले / दाग़ देहलवी
- मेरे क़ाबू में न पहरों दिल-ए-नाशाद आया / दाग़ देहलवी
- मुहब्बत में करे क्या कुछ किसी से हो नहीं सकता / दाग़ देहलवी
- हर बार मांगती है नया चश्म-ए-यार दिल / दाग़ देहलवी
- ग़म से कहीं नजात मिले चैन पाएं हम / दाग़ देहलवी
- सितम ही करना जफ़ा ही करना / दाग़ देहलवी
- आरजू है वफ़ा करे कोई / दाग़ देहलवी
- जवानी गुज़र गयी / दाग़ देहलवी
- बुतान-ए-माहवश उजड़ी हुई मंज़िल में रहते हैं / दाग़ देहलवी
- ले चला जान मेरी रूठ के जाना तेरा / दाग़ देहलवी
- फिर शब-ए-ग़म ने मुझे शक्ल दिखाई क्योंकर / दाग़ देहलवी
- न रवा कहिये न सज़ा कहिये / दाग़ देहलवी
- हम तुझसे किस हवस की फलक जुस्तुजू करें / दाग़ देहलवी
- अच्छी सूरत पे / दाग़ देहलवी
- हसरतें ले गए / दाग़ देहलवी
- हुस्न-ए-अदा भी खूबी-ए-सीरत में चाहिए / दाग़ देहलवी
- क्या लुत्फ़-ए-सितम यूँ उन्हें हासिल नहीं होता / दाग़ देहलवी
- क्यों चुराते हो देखकर आँखें / दाग़ देहलवी
- तेरी महफ़िल में यह कसरत कभी थी / दाग़ देहलवी
- शौक़ है उसको ख़ुदनुमाई का / दाग़ देहलवी
- ये जो है हुक़्म मेरे पास न आए कोई / दाग़ देहलवी
- दर्द बन के दिल में आना , कोई तुम से सीख जाए / दाग़ देहलवी
- ज़बाँ हिलाओ तो हो जाए,फ़ैसला दिल का / दाग़ देहलवी
- चुनिंदा शेर / दाग़ देहलवी