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"प्रश्नोपनिषद / मृदुल कीर्ति" के अवतरणों में अंतर

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'''शांति पाठ'''<br>
 
'''शांति पाठ'''<br>
 
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ॐ सह नाववतु । सह नौ भुनक्तु । सह वीर्यं करवावहै ।<br>
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तेजस्वि नावधीतमस्तु । मा विद्विषावहै ।<br><br>
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रक्षा करो पोषण करो, गुरु शिष्य  की प्रभु आप  ही,<br>
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हे देव गण !कल्याणमय हम वचन कानों से सुनें,<br>
ज्ञातव्य  ज्ञान  हो तेजमय, शक्ति मिले अतिशय मही।<br>
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कल्याण ही नेत्रों से देखें , सुदृढ़ अंग बली बनें।<br>
न  हों  पाराजित हम किसी  से, ज्ञान  विद्या क्षेत्र  में,<br>
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आराधना स्तुति प्रभो की, हम सदा करते रहे,<br>
हो त्रिविध तापों  की  निवृति, न प्रेम  शेष  हो  नेत्र में॥ <br><br>
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मम आयु देवों के काम आए , हम नमन करतें रहें।<br>
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हे इन्द्र ! मम कल्याण को , कल्याण का पोषण करे,<br>
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हे विश्व वेदाः पूषा श्री मय , ज्ञान संवर्धन करें।<br>
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हे बृहस्पति ! अरिष्ट नेमिः , स्वस्ति कारक आप हैं।<br>
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सब त्रिविध ताप हों शांत जग के, देते जो संताप हैं।<br><br>
 
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* '''प्रथम अध्याय'''
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* [[प्रथम प्रश्न / भाग १ / प्रश्नोपनिषद / मृदुल कीर्ति]]
** [[प्रथम अध्याय / प्रथम वल्ली / भाग १ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति]]
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* [[प्रथम प्रश्न / भाग २ / प्रश्नोपनिषद / मृदुल कीर्ति]]
** [[प्रथम अध्याय / प्रथम वल्ली / भाग २ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति]]
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* [[द्वितीय प्रश्न / भाग १ / प्रश्नोपनिषद / मृदुल कीर्ति]]
** [[प्रथम अध्याय / द्वितीय वल्ली / भाग १ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति]]
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* [[द्वितीय प्रश्न / भाग २ / प्रश्नोपनिषद / मृदुल कीर्ति]]
** [[प्रथम अध्याय / द्वितीय वल्ली / भाग २ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति]]
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* [[तृतीय प्रश्न / भाग १ / प्रश्नोपनिषद / मृदुल कीर्ति]]
** [[प्रथम अध्याय / द्वितीय वल्ली / भाग ३ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति]]
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* [[तृतीय प्रश्न / भाग २ / प्रश्नोपनिषद / मृदुल कीर्ति]]
** [[प्रथम अध्याय / तृतीय वल्ली / भाग १ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति]]
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* [[चतुर्थ प्रश्न / भाग १ / प्रश्नोपनिषद / मृदुल कीर्ति]]
** [[प्रथम अध्याय / तृतीय वल्ली / भाग २ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति]]
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* [[चतुर्थ प्रश्न / भाग २ / प्रश्नोपनिषद / मृदुल कीर्ति]]
 
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* [[पंचम प्रश्न / भाग १ / प्रश्नोपनिषद / मृदुल कीर्ति]]
* '''द्वितीय अध्याय'''
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* [[पंचम प्रश्न / भाग २ / प्रश्नोपनिषद / मृदुल कीर्ति]]
** [[द्वितीय अध्याय / प्रथम वल्ली / भाग १ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति]]
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* [[षष्ठ प्रश्न / भाग १ / प्रश्नोपनिषद / मृदुल कीर्ति]]
** [[द्वितीय अध्याय / प्रथम वल्ली / भाग २ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति]]
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* [[षष्ठ प्रश्न / भाग २ / प्रश्नोपनिषद / मृदुल कीर्ति]]
** [[द्वितीय अध्याय / द्वितीय वल्ली / भाग १ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति]]
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** [[द्वितीय अध्याय / द्वितीय वल्ली / भाग २ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति]]
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** [[द्वितीय अध्याय / तृतीय वल्ली / भाग १ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति]]
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** [[द्वितीय अध्याय / तृतीय वल्ली / भाग २ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति]]
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11:28, 28 सितम्बर 2008 के समय का अवतरण

ॐ श्री परमात्मने नमः

शांति पाठ

हे देव गण !कल्याणमय हम वचन कानों से सुनें,
कल्याण ही नेत्रों से देखें , सुदृढ़ अंग बली बनें।
आराधना स्तुति प्रभो की, हम सदा करते रहे,
मम आयु देवों के काम आए , हम नमन करतें रहें।
हे इन्द्र ! मम कल्याण को , कल्याण का पोषण करे,
हे विश्व वेदाः पूषा श्री मय , ज्ञान संवर्धन करें।
हे बृहस्पति ! अरिष्ट नेमिः , स्वस्ति कारक आप हैं।
सब त्रिविध ताप हों शांत जग के, देते जो संताप हैं।