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01:31, 6 अक्टूबर 2009 का अवतरण
हिम तरंगिनी
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रचनाकार | माखनलाल चतुर्वेदी |
---|---|
प्रकाशक | भारती-भंडार, लीडर प्रेस, इलाहाबाद |
वर्ष | १९३२ |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | गीत |
पृष्ठ | ९१ |
ISBN | |
विविध |
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- जो न बन पाई तुम्हारे / माखनलाल चतुर्वेदी
- तुम मन्द चलो / माखनलाल चतुर्वेदी
- खोने को पाने आये हो / माखनलाल चतुर्वेदी
- जागना अपराध / माखनलाल चतुर्वेदी
- यह किसका मन डोला / माखनलाल चतुर्वेदी
- चलो छिया-छी हो अन्तर में / माखनलाल चतुर्वेदी
- गो-गण सँभाले नहीं जाते मतवाले नाथ / माखनलाल चतुर्वेदी
- सूझ का साथी / माखनलाल चतुर्वेदी
- सुनकर तुम्हारी चीज हूँ / माखनलाल चतुर्वेदी
- वे तुम्हारे बोल / माखनलाल चतुर्वेदी
- धमनी से मिस धड़कन की / माखनलाल चतुर्वेदी
- भाई, छेड़ो नही, मुझे / माखनलाल चतुर्वेदी
- उड़ने दे घनश्याम गगन में / माखनलाल चतुर्वेदी
- जिस ओर देखूँ बस / माखनलाल चतुर्वेदी
- जब तुमने यह धर्म पठाया / माखनलाल चतुर्वेदी
- बोल तो किसके लिए मैं / माखनलाल चतुर्वेदी
- बोल राजा, बोल मेरे / माखनलाल चतुर्वेदी
- बोल राजा, स्वर अटूटे / माखनलाल चतुर्वेदी
- उस प्रभात, तू बात न माने / माखनलाल चतुर्वेदी
- ऊषा के संग, पहिन अरुणिमा / माखनलाल चतुर्वेदी
- मन धक-धक की माला गूँथे / माखनलाल चतुर्वेदी
- चल पडी चुपचाप सन-सन-सन हुआ / माखनलाल चतुर्वेदी
- नींद की प्यालियों, मोद की ले सुरा / माखनलाल चतुर्वेदी
- सुलझन की उलझन है / माखनलाल चतुर्वेदी
- कौन? याद की प्याली में / माखनलाल चतुर्वेदी
- हरा हरा कर, हरा / माखनलाल चतुर्वेदी
- दूर न रह, धुन बँधने दे / माखनलाल चतुर्वेदी
- मत झनकार जोर से / माखनलाल चतुर्वेदी
- जहाँ से जो ख़ुद को / माखनलाल चतुर्वेदी
- माधव दिवाने हाव-भाव / माखनलाल चतुर्वेदी
- तुम्हीं क्या समदर्शी भगवान / माखनलाल चतुर्वेदी
- उठ अब, ऐ मेरे महाप्राण / माखनलाल चतुर्वेदी
- मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक / माखनलाल चतुर्वेदी
- आज नयन के बँगले में / माखनलाल चतुर्वेदी
- मार डालना किन्तु क्षेत्र में / माखनलाल चतुर्वेदी
- महलों पर कुटियों को वारो / माखनलाल चतुर्वेदी
- मैंने देखा था, कलिका के / माखनलाल चतुर्वेदी
- यह अमर निशानी किसकी है / माखनलाल चतुर्वेदी
- सजल गान, सजल तान / माखनलाल चतुर्वेदी
- यह चरण ध्वनि धीमे-धीमे / माखनलाल चतुर्वेदी
- आते-आते रह जाते हो / माखनलाल चतुर्वेदी
- दुर्गम हृदयारण्य दण्ड का / माखनलाल चतुर्वेदी
- हे प्रशान्त, तूफान हिये / माखनलाल चतुर्वेदी
- अपना आप हिसाब लगाया / माखनलाल चतुर्वेदी
- आ मेरी आंखों की पुतली / माखनलाल चतुर्वेदी
- वह टूटा जी, जैसा तारा / माखनलाल चतुर्वेदी
- कैसे मानूँ तुम्हें प्राणधन / माखनलाल चतुर्वेदी
- मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी / माखनलाल चतुर्वेदी
- मैं नहीं बोला, कि वे बोला किये / माखनलाल चतुर्वेदी
- पुतलियों में कौन / माखनलाल चतुर्वेदी
- हाँ, याद तुम्हारी आती थी / माखनलाल चतुर्वेदी
- अपनी जुबान खोलो तो / माखनलाल चतुर्वेदी
- तुही है बहकते हुओं का इशारा / माखनलाल चतुर्वेदी
- गुनों की पहुँच के / माखनलाल चतुर्वेदी
- पत्थर के फर्श, कगारों में / माखनलाल चतुर्वेदी