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17:11, 15 मई 2017 के समय का अवतरण
मरदान अली ख़ान 'राना'

| जन्म | |
|---|---|
| निधन | 02 जून 1879 |
| उपनाम | मुज़्तर, राना, निज़ाम |
| जन्म स्थान | मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश |
| कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
| कुल्लियात-ए-निज़ाम (शायरी संग्रह; दिसम्बर 1875) | |
| विविध | |
| मिर्ज़ा ग़ालिब और मुंशी मुज़फ्फ़र अली ख़ान 'असीर' लखनवी के शिष्य | |
| जीवन परिचय | |
| मरदान अली ख़ान 'राना' / परिचय | |
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- गयी जो तिफ़्ली तो फिर आलम-ए-शबाब आया / मरदान अली ख़ान 'राना'
- वो मसीहा क़ब्र पर आता रहा / मरदान अली ख़ान 'राना'
- कर दिया ज़ार-ए-ग़म-ए-इश्क़ ने ऐसा मुझको / मरदान अली ख़ान 'राना'
- ले क़ज़ा एहसान तुझ पर कर चले / मरदान अली ख़ान 'राना'
- वाह क्या हुस्न, कैसा जोबन है / मरदान अली ख़ान 'राना'
- तेग़-ए-निगह-ए-दीदा-ए-खूँख़ार निकाली / मरदान अली ख़ान 'राना'
- हिज्र-ए-जानाँ में जी से जाना है / मरदान अली ख़ान 'राना'
- गयी फ़स्ल-ए-बहार गुलशन से / मरदान अली ख़ान 'राना'
- बाशिंदे हक़ीक़त में हैं हम मुल्क-ए-बक़ा के / मरदान अली ख़ान 'राना'
- जिसको सब कहते हैं समंदर है / मरदान अली ख़ान 'राना'
- कर चुका क़ैद से जिस वक़्त कि आज़ाद मुझे / मरदान अली ख़ान 'राना'
- पिसे हैं दिल ज़्यादातर हिना से / मरदान अली ख़ान 'राना'
