भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ओमप्रकाश यती" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
पंक्ति 21: | पंक्ति 21: | ||
'''ग़ज़ल''' | '''ग़ज़ल''' | ||
<sort class="ul" order="asc"> | <sort class="ul" order="asc"> | ||
+ | * [[दीपमाला सज गई.... / ओमप्रकाश यती]] | ||
* [[छीन लेगी नेकियाँ... / ओमप्रकाश यती]] | * [[छीन लेगी नेकियाँ... / ओमप्रकाश यती]] | ||
* [[थके मजदूर रह-रह कर... / ओमप्रकाश यती]] | * [[थके मजदूर रह-रह कर... / ओमप्रकाश यती]] |
13:53, 26 फ़रवरी 2012 का अवतरण
ओमप्रकाश यती
जन्म | 03 दिसंबर 1959 |
---|---|
उपनाम | यती |
जन्म स्थान | छिब्बी गाँव, जिला बलिया, उत्तरप्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
बाहर छाया भीतर धूप / ओमप्रकाश यती (ग़ज़ल संग्रह)
| |
विविध | |
हिन्दुस्तानी ग़ज़लें, ग़ज़ल दुष्यन्त के बाद, ग़ज़ल एकादशी तथा कई अन्य महत्वपूर्ण संकलनों में ग़ज़लें सम्मिलित। प्रसार भारती के सर्वभाषा कवि–सम्मेलन 2008 नागपुर में आयोजित में कन्नड़ कविता के अनुवादक कवि के रूप में भागीदारी। | |
जीवन परिचय | |
ओमप्रकाश यती / परिचय |
ग़ज़ल संग्रह
ग़ज़ल <sort class="ul" order="asc">
- दीपमाला सज गई.... / ओमप्रकाश यती
- छीन लेगी नेकियाँ... / ओमप्रकाश यती
- थके मजदूर रह-रह कर... / ओमप्रकाश यती
- बुरे की हार हो जाती है.. / ओमप्रकाश यती
- बहुत नज़दीक का भी साथ सहसा छूट जाता है / ओमप्रकाश यती
- अपने भीतर क़ैद बुराई से लड़ना / ओमप्रकाश यती
- अभागे गाँव को ढाढस बँधाने कौन आएगा / ओमप्रकाश यती
- इस तरह कब तक हँसेगा गाएगा / ओमप्रकाश यती
- आदमी क्या रह नहीं पाए सम्हल के देवता / ओमप्रकाश यती
- देखिए अब बैठता है ऊँट किस करवट मियाँ / ओमप्रकाश यती
- मन में मेरे उत्सव जैसा हो जाता है /ओमप्रकाश यती
- दिल में सौ दर्द पाले बहन-बेटियाँ / ओमप्रकाश यती
- पर्वत, जंगल पार करेगी बंजर में आ जाएगी / ओमप्रकाश यती
- तुम्हें कल की कोई चिन्ता नहीं है / ओमप्रकाश यती
- स्वार्थ की अंधी गुफ़ाओं तक रहे / ओमप्रकाश यती
- कुछ नमक से भरी थैलियाँ खोलिए / ओमप्रकाश यती
- दुख तो गाँव-मुहल्ले के भी हरते आए बाबूजी / ओमप्रकाश यती
- होने में सुबह पलक झपकने की देर है / ओमप्रकाश यती
- फूस–पत्ते अगर नहीं मिलते / ओमप्रकाश यती
- कौन मानेगा नसीहत ही मेरी / ओमप्रकाश यती
- देखो कितने अच्छे मेरे साथी हैं / ओमप्रकाश यती
- ज़िदगी सादा–सहज हो / ओमप्रकाश यती
- क्यों शहरों में आकर ऐसा लगता है / ओमप्रकाश यती
- हँसी को और खुशियों को हमारे साथ रहने दो / ओमप्रकाश यती
- कुछ खट्टा कुछ मीठा लेकर घर आया / ओमप्रकाश यती
- रिश्तों का उपवन इतना वीरान नहीं देखा / ओमप्रकाश यती
- नदी कानून की, शातिर शिकारी तैर जाता है / ओमप्रकाश यती
- नज़र में आजतक मेरी कोई तुझसा नहीं निकला / ओमप्रकाश यती
- इक नयी कशमकश से गुजरते रहे / ओमप्रकाश यती
- न शाहों में है ना अमीरों में है / ओमप्रकाश यती
</sort>