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|कृतियाँ=[[बाहर छाया भीतर धूप / ओमप्रकाश यती]] (ग़ज़ल संग्रह) | |कृतियाँ=[[बाहर छाया भीतर धूप / ओमप्रकाश यती]] (ग़ज़ल संग्रह) | ||
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|विविध= हिन्दुस्तानी ग़ज़लें, ग़ज़ल दुष्यन्त के बाद, ग़ज़ल एकादशी तथा कई अन्य महत्वपूर्ण संकलनों में ग़ज़लें सम्मिलित। प्रसार भारती के सर्वभाषा कवि–सम्मेलन 2008 नागपुर में आयोजित में कन्नड़ कविता के अनुवादक कवि के रूप में भागीदारी। | |विविध= हिन्दुस्तानी ग़ज़लें, ग़ज़ल दुष्यन्त के बाद, ग़ज़ल एकादशी तथा कई अन्य महत्वपूर्ण संकलनों में ग़ज़लें सम्मिलित। प्रसार भारती के सर्वभाषा कवि–सम्मेलन 2008 नागपुर में आयोजित में कन्नड़ कविता के अनुवादक कवि के रूप में भागीदारी। | ||
|सम्प्रति- उ.प्र. सिंचाई विभाग में सहायक अभियन्ता पद पर कार्यरत। | |सम्प्रति- उ.प्र. सिंचाई विभाग में सहायक अभियन्ता पद पर कार्यरत। |
12:38, 26 फ़रवरी 2012 का अवतरण
ओमप्रकाश यती
जन्म | 03 दिसंबर 1959 |
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उपनाम | यती |
जन्म स्थान | छिब्बी गाँव, जिला बलिया, उत्तरप्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
बाहर छाया भीतर धूप / ओमप्रकाश यती (ग़ज़ल संग्रह)
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विविध | |
हिन्दुस्तानी ग़ज़लें, ग़ज़ल दुष्यन्त के बाद, ग़ज़ल एकादशी तथा कई अन्य महत्वपूर्ण संकलनों में ग़ज़लें सम्मिलित। प्रसार भारती के सर्वभाषा कवि–सम्मेलन 2008 नागपुर में आयोजित में कन्नड़ कविता के अनुवादक कवि के रूप में भागीदारी। | |
जीवन परिचय | |
ओमप्रकाश यती / परिचय |
ग़ज़ल संग्रह
ग़ज़ल <sort class="ul" order="asc">
- देखिए अब बैठता है ऊँट किस करवट मियाँ / ओमप्रकाश यती
- मन में मेरे उत्सव जैसा हो जाता है /ओमप्रकाश यती
- दिल में सौ दर्द पाले बहन-बेटियाँ / ओमप्रकाश यती
- पर्वत, जंगल पार करेगी बंजर में आ जाएगी / ओमप्रकाश यती
- तुम्हें कल की कोई चिन्ता नहीं है / ओमप्रकाश यती
- स्वार्थ की अंधी गुफ़ाओं तक रहे / ओमप्रकाश यती
- कुछ नमक से भरी थैलियाँ खोलिए / ओमप्रकाश यती
- दुख तो गाँव-मुहल्ले के भी हरते आए बाबूजी / ओमप्रकाश यती
- होने में सुबह पलक झपकने की देर है / ओमप्रकाश यती
- फूस–पत्ते अगर नहीं मिलते / ओमप्रकाश यती
- कौन मानेगा नसीहत ही मेरी / ओमप्रकाश यती
- देखो कितने अच्छे मेरे साथी हैं / ओमप्रकाश यती
- ज़िदगी सादा–सहज हो / ओमप्रकाश यती
- क्यों शहरों में आकर ऐसा लगता है / ओमप्रकाश यती
- हँसी को और खुशियों को हमारे साथ रहने दो / ओमप्रकाश यती
- कुछ खट्टा कुछ मीठा लेकर घर आया / ओमप्रकाश यती
- रिश्तों का उपवन इतना वीरान नहीं देखा / ओमप्रकाश यती
- नदी कानून की, शातिर शिकारी तैर जाता है / ओमप्रकाश यती
- नज़र में आजतक मेरी कोई तुझसा नहीं निकला / ओमप्रकाश यती
- इक नयी कशमकश से गुजरते रहे / ओमप्रकाश यती
- न शाहों में है ना अमीरों में है / ओमप्रकाश यती
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