भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"राज़िक़ अंसारी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
पंक्ति 28: | पंक्ति 28: | ||
* [[बतलाते हैं सारे मंज़र ख़ुश हैं सब / राज़िक़ अंसारी]] | * [[बतलाते हैं सारे मंज़र ख़ुश हैं सब / राज़िक़ अंसारी]] | ||
* [[आंसू अपनी चश्मे तर से निकलें तो/ राज़िक़ अंसारी]] | * [[आंसू अपनी चश्मे तर से निकलें तो/ राज़िक़ अंसारी]] | ||
+ | * [[हमारा सर जो होता ख़म कहीं पर / राज़िक़ अंसारी]] | ||
+ | * [[अभी में लौटा हूँ अपने भाई को दफ़्न कर के / राज़िक़ अंसारी]] | ||
+ | * [[यादों ने क्या ज़ुल्म किए दिल जानता है / राज़िक़ अंसारी]] | ||
+ | * [[रोज़ कहता है मुझे चल दश्त में / राज़िक़ अंसारी]] | ||
+ | * [[लोग करने लगे जवाब तलब / राज़िक़ अंसारी]] | ||
+ | * [[खुले में छोड़ रखा है मगर सलीक़े से / राज़िक़ अंसारी]] | ||
* [[ / राज़िक़ अंसारी]] | * [[ / राज़िक़ अंसारी]] | ||
* [[ / राज़िक़ अंसारी]] | * [[ / राज़िक़ अंसारी]] |
15:35, 21 जून 2018 का अवतरण
राज़िक़ अंसारी
क्या आपके पास चित्र उपलब्ध है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
जन्म | |
---|---|
जन्म स्थान | |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
राज़िक़ अंसारी / परिचय |
ग़ज़लें
- हमारे मिलने का एक रस्ता बचा हुआ है / राज़िक़ अंसारी
- दिखाए वक़्त ने पथराव इतने / राज़िक़ अंसारी
- प्यास बिखरी हुई है बस्ती में / राज़िक़ अंसारी
- हमारा मक़सद अगर सफ़र है तवील करना / राज़िक़ अंसारी
- इधर उधर जो चराग़ टूटे पड़े हुए हैं / राज़िक़ अंसारी
- मुझ से कहता है जिस्म हारा हुआ / राज़िक़ अंसारी
- बात जब मेरी निकाली गई है / राज़िक़ अंसारी
- आतिशे ग़म से गुज़रता रोज़ हूँ / राज़िक़ अंसारी
- मेरी तन्हाई मेरा जुनूं और मैं / राज़िक़ अंसारी
- इमारत एक आलीशान है दिल / राज़िक़ अंसारी
- मैं जब रिश्तों को लड़ते देखता हूं / राज़िक़ अंसारी
- चलो चल कर वहीं पर बैठते हैं / राज़िक़ अंसारी
- दिल की रंगीनियों से वाक़िफ़ हैं / राज़िक़ अंसारी
- बतलाते हैं सारे मंज़र ख़ुश हैं सब / राज़िक़ अंसारी
- आंसू अपनी चश्मे तर से निकलें तो/ राज़िक़ अंसारी
- हमारा सर जो होता ख़म कहीं पर / राज़िक़ अंसारी
- अभी में लौटा हूँ अपने भाई को दफ़्न कर के / राज़िक़ अंसारी
- यादों ने क्या ज़ुल्म किए दिल जानता है / राज़िक़ अंसारी
- रोज़ कहता है मुझे चल दश्त में / राज़िक़ अंसारी
- लोग करने लगे जवाब तलब / राज़िक़ अंसारी
- खुले में छोड़ रखा है मगर सलीक़े से / राज़िक़ अंसारी
- / राज़िक़ अंसारी
- / राज़िक़ अंसारी
- / राज़िक़ अंसारी
- / राज़िक़ अंसारी
- / राज़िक़ अंसारी
- / राज़िक़ अंसारी