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शृंगार-लतिका / द्विज/ पृष्ठ 6
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- ठौर-ठौर निरखि मरंद सौ झरत रस / शृंगार-लतिका / द्विज
- आसिष पाइ, उपाइ-बिनु / शृंगार-लतिका / द्विज
- चाँहत करन प्रसिद्ध इत / शृंगार-लतिका / द्विज
- अति मींठी मति के बसैं / शृंगार-लतिका / द्विज
- उर-अंतर आवत इती / शृंगार-लतिका / द्विज
- आई न जो बक-बावरे पैं / शृंगार-लतिका / द्विज
- लखि-लखि कुमति कुदूषनहिं / शृंगार-लतिका / द्विज
- कलम गह्यौ मनकै सुदृढ़ / शृंगार-लतिका / द्विज
- रसिक छमैंगे भूल / शृंगार-लतिका / द्विज
- रसिक रीझिहैं जानि / शृंगार-लतिका / द्विज