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श्रेणी:त्रिवेणी
Dr. ashok shukla
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कविता कोश में त्रिवेणियाँ ।
"त्रिवेणी" श्रेणी में पृष्ठ
इस श्रेणी में निम्नलिखित 47 पृष्ठ हैं, कुल पृष्ठ 47
इ
इश्क जब भी जूनून होता है / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
ए
एक सदी से मैं तेरे बग़ैर सो न सका / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
क
क़र्ज़ लेकर अपनी उम्र के लम्हों से / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
किसी सराय की तरह है जिंदगी मेरी / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
कुछ तो मैं, मेरा ऑफिस और मेरे काम / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
कुछ त्रिवेणियाँ / गुलज़ार
कुछ त्रिवेणियाँ / प्रताप सोमवंशी
कुछ लोग मेरी ज़िंदगी से जीत कर गये / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
ग
ग़ज़ल ने तोड़ दी आख़िर हर एक हद अपनी / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
च
चाँद चुटकी भर रख दिया किसी ने / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
ज
जापानी हाइकु का स्वदेशी संस्करण
त
तड़प रहा है धूप का टुकड़ा / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
तमाम रंग से गुज़री है छोटी उम्र मेरी / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
तुम दुआ करो अपने प्यार के लिए/ विनय प्रजापति 'नज़र'
तुम्हारा रंग है इस तरह मेरी आंखों में / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
तुम्हारी गीली-गीली स्याह-सी आँखों में / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
त आगे.
तुम्हारी याद ने जब भी मुझे सदा दी है / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
तेरे रेशमी बदन से सरकता है यह दुप्पटा/ विनय प्रजापति 'नज़र'
त्रिवेणियाँ - १ / रेशमा हिंगोरानी
त्रिवेणियाँ / संकल्प शर्मा
त्रिवेणी न. 1-2 / गुलज़ार
त्रिवेणी न. 3-4 / गुलज़ार
त्रिवेणी न. 5-6 / गुलज़ार
त्रिवेणी न. 7-8 / गुलज़ार
द
दिल का जला होता तब रोशनी होती/ विनय प्रजापति 'नज़र'
फ
फिर मुझसे कभी आईना देखा न गया / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
फिर मेरे आँगन में चांदनी नही आई / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
ब
बहता जाता है अँधेरा भरा दरिया / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
बहुत देर तक खामोश रही तुम / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
बोस्की के लिए / गुलज़ार
म
माँ मै घर तो आना चाहता हूँ पर / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
माँ से जब भी फ़ोन पर बात होती है / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
म आगे.
मुझे मालूम है दर्द-ओ-अलम अपना / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
मुद्दतों पहले हमारी दोस्ती हुई थी / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
मेरी एक आँख में रात अभी सोई है / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
मेरे ऑफिस में अब मेरा दिन का शिफ़्ट / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
मेरे कमरे के कोने में अब भी रोज़ाना / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
मैं कल गया था 'निराला' के बाग़ में / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
मैं ख़ुद मैं उलझा रहता हूँ इतना / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
मैं तड़पता रह गया कल रात / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
मैं तेरे इश्क़ की छाँव में जल-जलकर/ विनय प्रजापति 'नज़र'
र
रात भर मैं तुम्हें छू न सका / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
स
सरे बाज़ार जब तनहा निकला / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
सोचता हूँ कि खुदकशी कर लूँ – हमने कहा / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
ह
हज़ारों रंग से बिखरे हैं चारसू मेरे / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
हमने अब तक नहीं कहा उसको / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
हॉट-पॉट में रखा है अब भी गर्म चाँद / त्रिपुरारि कुमार शर्मा