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बहादुर शाह ज़फ़र
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बहादुर शाह ज़फ़र
जन्म | 24 अक्तूबर 1775 |
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निधन | 7 नवम्बर 1862 |
उपनाम | ज़फ़र |
जन्म स्थान | दिल्ली, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
ज़फ़र की शायरी | |
विविध | |
बहादुर शाह ज़फ़र हिन्दुस्तान के आख़िरी मुग़ल बादशाह थे। | |
जीवन परिचय | |
बहादुर शाह ज़फ़र / परिचय |
ग़ज़ल संग्रह
ग़ज़लें
- पसे-मर्ग मेरे मजार पर / ज़फ़र
- हम तो चलते हैं लो ख़ुदा हाफ़िज़ / ज़फ़र
- कीजे न दस में बैठ कर / ज़फ़र
- लगता नहीं है जी मेरा / ज़फ़र
- सुबह रो रो के शाम होती है / ज़फ़र
- थे कल जो अपने घर में वो महमाँ कहाँ हैं / ज़फ़र
- वो बेहिसाब जो पी के कल शराब आया / ज़फ़र
- या मुझे अफ़सर-ए-शाहा न बनाया होता / ज़फ़र
- जा कहियो उन से नसीम-ए-सहर / ज़फ़र
- शमशीर बरहना माँग ग़ज़ब बालों / ज़फ़र
- खुलता नहीं है हाल किसी पर कहे बग़ैर / ज़फ़र
- हमने दुनिया में आके क्या देखा / ज़फ़र
- यार था गुलज़ार था बाद-ए-सबा थी / ज़फ़र
- दिल की मेरी बेक़रारी / ज़फ़र
- तुम न आये एक दिन / ज़फ़र
- बात करनी मुझे मुश्किल कभी / ज़फ़र
- बीच में पर्दा दुई का था जो / ज़फ़र
- कीजे न दस में बैठ कर / ज़फ़र
- भरी है दिल में जो हसरत / ज़फ़र
- देख दिल को मेरे ओ काफ़िर / ज़फ़र
- देखो इन्साँ ख़ाक का पुतला / ज़फ़र
- गालियाँ तनख़्वाह ठहरी है / ज़फ़र
- है दिल को जो याद आई / ज़फ़र
- हम ने तेरी ख़ातिर से दिल-ए-ज़ार / ज़फ़र
- हम ये तो नहीं कहते के / ज़फ़र
- हवा में फिरते हो क्या / ज़फ़र
- हिज्र के हाथ से अब / ज़फ़र
- इश्क़ तो मुश्किल है ऐ दिल / ज़फ़र
- इतना न अपने जामे से / ज़फ़र
- जब कभी दरया में होते / ज़फ़र
- जब के पहलू में हमारे / ज़फ़र
- जिगर के टुकड़े हुए जल के / ज़फ़र
- काफ़िर तुझे अल्लाह ने सूरत / ज़फ़र
- करेंगे क़स्द हम जिस दम / ज़फ़र
- ख़्वाह कर इंसाफ़ ज़ालिम ख़्वाह / ज़फ़र
- क्या कहूँ दिल माइल-ए-ज़ुल्फ़-ए-दोता / ज़फ़र
- क्या कुछ न किया और हैं क्या / ज़फ़र
- क्यूँकर न ख़ाक-सार रहें / ज़फ़र
- क्यूँके हम दुनिया में आए / ज़फ़र
- मैं हूँ आसी के पुर-ख़ता कुछ हूँ / ज़फ़र
- मर गए ऐ वाह उन की / ज़फ़र
- मोहब्बत चाहिए बाहम हमें / ज़फ़र
- न दाइम ग़म है नै इशरत / ज़फ़र
- न दरवेशों का ख़िर्क़ा चाहिए / ज़फ़र
- न दो दुश्नाम हम को / ज़फ़र
- न उस का भेद यारी से / ज़फ़र
- नहीं इश्क़ में उस का तो रंज / ज़फ़र
- निबाह बात का उस हीला-गर / ज़फ़र
- पान खा कर सुरमा की तहरीर / ज़फ़र
- पान की सुर्ख़ी नहीं लब पर / ज़फ़र
- क़ारूँ उठा के सर पे सुना / ज़फ़र
- रुख़ जो ज़ेर-ए-सुंबल-ए-पुर-पेच-ओ-ताब / ज़फ़र
- सब रंग में उस गुल की / ज़फ़र
- शाने की हर ज़बाँ से सुने कोई / ज़फ़र
- तफ़्ता-जानों का इलाज ऐ / ज़फ़र
- टुकड़े नहीं हैं आँसुओं में दिल के / ज़फ़र
- वाँ इरादा आज उस क़ातिल के / ज़फ़र
- वाँ रसाई नहीं तो फिर क्या है / ज़फ़र
- वाक़िफ़ हैं हम के हज़रत-ए-ग़म / ज़फ़र
- ये क़िस्सा वो नहीं तुम जिस को / ज़फ़र
- ज़ुल्फ़ जो रुख़ पर तेरे ऐ / ज़फ़र