भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
खड़ी बोली लोकगीत
Kavita Kosh से
भारत के लोकगीत
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
<sort order="asc" class="ul">
- जच्चा मेरी भोली / खड़ी बोली
- होलर का बाबा / खड़ी बोली
- एक रंगमहल की खूँट / खड़ी बोली
- काले री बालम / खड़ी बोली
- आर्यों का प्रण (हँसी गीत) / खड़ी बोली
- अन्दर से लाड्डो बाहर निकलो / खड़ी बोली
- लाडो मँगणा हो / खड़ी बोली
- मेरठ जिले के मेरे भातड़िए/ खड़ी बोली
- तुम तो श्याम बड़े बेख़बर हो / खड़ी बोली
- देखो सावन में हिंडोला झूलैं (कजली) / खड़ी बोली
- छैला छाय रहे मधुबन में (कजली) / खड़ी बोली
- आई सावन की बहार (कजली) / खड़ी बोली
- हरि संग डारि-डारि गलबहियाँ (कजली) / खड़ी बोली
- हरि बिन जियरा मोरा तरसे (कजली) / खड़ी बोली
- झूला झूलन हम लागी हो रामा (कजली) / खड़ी बोली
- अजहू न आयल तोहार छोटी ननदी (कजली) / खड़ी बोली
- अँगना में रौरा मचाइल चिरैयाँ सत / खड़ी बोली
- हे डोला हे डोला, हे डोला, हे डोला /खड़ी बोली
- हेरी मेरा लम्बा सहेलियों का साथ/ खड़ी बोली
- पिताजी काहे को (बिदाई गीत) / खड़ी बोली
- मत करो मन को उदास (बिदाई गीत) / खड़ी बोली
- पति पढ़ण चले / खड़ी बोली
- मेरे सिर पै बंटा टोकणी / खड़ी बोली
- कोठे ऊप्पर कोठड़ी / खड़ी बोली
- पचरंगी चीरा बाँध बीरण / खड़ी बोली
- काँकर उप्पर काँकरी (भात का गीत) / खड़ी बोली
- लाड्डो पूछै बाबा से (बारात आगमन) / खड़ी बोली
- अजी बाबा जी (फ़ेरों का गीत) / खड़ी बोली
- बीरा जो आते मैं सुणै (सावन- गीत) / खड़ी बोली
- आम्बो तलै क्यूँ खड़ी (सावन गीत) / खड़ी बोली
- नन्हीं-नन्हीं बुँदियाँ (सावन-गीत) / खड़ी बोली
- गलियों तो गलियों री बीबी (सावन-गीत) / खड़ी बोली
- ठाकै बण्टा टोकणी (पनघट-गीत) / खड़ी बोली
- सासू पनियाँ कैसे जाऊँ (पनघट-गीत) / खड़ी बोली
- बेल्ला ले रही दूध का / खड़ी बोली
- नटवर नै भेस / खड़ी बोली
- बारह बरस पीछै (विरह -गीत) / खड़ी बोली
- अरे बरसन लागे बुंदिया चला भागा पिया / खड़ी बोली
- कोऊ दिन उठ गयो मेरा हाथ / खड़ी बोली
- माई री मैं टोना करिहों / खड़ी बोली
</sort>