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कमलेश भट्ट 'कमल'
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कमलेश भट्ट 'कमल'
जन्म | 13 फ़रवरी 1959 |
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उपनाम | कमल |
जन्म स्थान | सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
त्रिवेणी एक्सप्रेस, चिट्ठी आई है, शंख सीपी रेत पानी, मैं नदी की सोचता हूँ (ग़ज़ल संग्रह), साक्षात्कार,संपादन-हाइकु-1989, हाइकु-1999,अमलतास-2009 (हाइकु संग्रह) | |
विविध | |
ग़ज़ल, कहानी, हाइकु, साक्षात्कार, निबन्ध, समीक्षा एवं बाल-साहित्य आदि विधाओं में कृतियाँ | |
जीवन परिचय | |
कमलेश भट्ट 'कमल' / परिचय |
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- भले ही मुल्क के / कमलेश भट्ट 'कमल'
- बेशक छोटे हों लेकिन / कमलेश भट्ट 'कमल'
- सफलता पाँव चूमे / कमलेश भट्ट 'कमल'
- अपना मन होता है / कमलेश भट्ट 'कमल'
- मन नहीं बदले अगर / कमलेश भट्ट 'कमल'
- कभी सुख का समय बीता / कमलेश भट्ट 'कमल'
- मुश्किलों से जूझता / कमलेश भट्ट 'कमल'
- आदमी को खुशी से / कमलेश भट्ट 'कमल'
- किसे मालूम‚ चेहरे कितने / कमलेश भट्ट 'कमल'
- एक चादर–सी उजालों की / कमलेश भट्ट 'कमल'
- वृक्ष अपने ज़ख्म आखिर / कमलेश भट्ट 'कमल'
- पत्थरों का शहर / कमलेश भट्ट 'कमल'
- पेड, कटे तो छाँव कटी फिर / कमलेश भट्ट 'कमल'
- समन्दर में उतर जाते हैं / कमलेश भट्ट 'कमल'
- समय के साथ भी उसने / कमलेश भट्ट 'कमल'
- पास रक्खेगी नहीं / कमलेश भट्ट 'कमल'
- टूटते भी हैं‚ मगर देखे / कमलेश भट्ट 'कमल'
- नाउमीदी में भी गुल / कमलेश भट्ट 'कमल'
- हादसों की बात पर / कमलेश भट्ट 'कमल'
- आँखों में सपने रहे / कमलेश भट्ट 'कमल'
- आदमी की कब / कमलेश भट्ट 'कमल'
- कौन जाने इस शहर को / कमलेश भट्ट 'कमल'
- आपने उसकी तबाही का / कमलेश भट्ट 'कमल'
- याद आए तो आँख भर आए / कमलेश भट्ट 'कमल'
- बनाए घर गरीबों के / कमलेश भट्ट 'कमल'
- वो शहर था, वो कोई / कमलेश भट्ट 'कमल'
- कभी इसकी तरफदारी / कमलेश भट्ट 'कमल'
- अपना सुख, अपनी चुभन / कमलेश भट्ट 'कमल'
- दूध को बस दूध ही / कमलेश भट्ट 'कमल'
- प्यार, नफ़रत या गिला / कमलेश भट्ट 'कमल'
- प्यास से जो खुद़ तड़प कर / कमलेश भट्ट 'कमल'
- एक चादर-सी उजालों / कमलेश भट्ट 'कमल'
- ख्व़ाब छीने, याद भी सारी / कमलेश भट्ट 'कमल'
- बहुत मुश्किल है कहना / कमलेश भट्ट 'कमल'
- रोशनी है, धुन्ध भी है / कमलेश भट्ट 'कमल'
- किसे मालूम, चेहरे कितने / कमलेश भट्ट 'कमल'
- कुछ बहुत आसान / कमलेश भट्ट 'कमल'
- पिंजरें में कैद पंछी / कमलेश भट्ट 'कमल'
- औरत है एक कतरा / कमलेश भट्ट 'कमल'
- देह के रहते ज़माने की / कमलेश भट्ट 'कमल'
- छीनकर हमसे सभी एतबार मज़हब ने / कमलेश भट्ट 'कमल'
- मन स्वयं को दूसरों पर होम कर दे / कमलेश भट्ट 'कमल'
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