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- 22:01, 3 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (0) . . दीप बनकर जलो / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 22:01, 3 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+6) . . प्रतिरोध / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 22:00, 3 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+3) . . माँ - 1 / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 21:59, 3 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-1) . . बड़ा बिगौना दिल्ली मा / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 21:57, 3 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+3) . . दाने को मुहताज / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 21:57, 3 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+5) . . जॉगर का सुवरन / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 21:56, 3 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (0) . . सन्तोष / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 21:55, 3 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+162) . . ईमानदारी बोलती है / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 14:04, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+8,335) . . न भूमिका / आईना-दर-आईना ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=डी. एम. मिश्र |संग्रह=आईना-दर-आईना /...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
- 13:34, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+60) . . आईना-दर-आईना / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 13:33, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+937) . . लंबी है ये सियाहरात जानता हूँ मैं / डी. एम. मिश्र
- 13:32, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+1,167) . . अश्कों को मैंने पी के भी दिल को बड़ा किया / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 13:31, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+1,114) . . मिट्टी का जिस्म है तो ये मिट्टी में मिलेगा / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 13:31, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+977) . . समय बदलते अपने भी सब बदल गये / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 13:30, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+770) . . जिदगी में यूँ तो लाखों ग़म मिले / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 13:29, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+1,154) . . अँधेरा है घना फिर भी ग़ज़ल पूनम की कहते हो / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 13:29, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (0) . . आईना-दर-आईना / डी. एम. मिश्र
- 13:28, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+1,068) . . ग़ज़ल ऐसी कहो जिससे कि मिट्टी की महक आये / डी. एम. मिश्र
- 13:27, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (0) . . छो अँधेरा है घना फिर भी ग़ज़ल पूनम की कहते हो / डी. एम. मिश्र (Dkspoet ने अँधेरा है धना फिर भी ग़ज़ल पूनम की कहते हो / डी. एम. मिश्र पृष्ठ [[अँधेरा है घना फिर भी ग़ज़ल प...)
- 13:26, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+992) . . बडे आराम से वो क़त्ल करके घूमता है / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 13:25, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+1,810) . . तुमने यार बजा फ़रमाया ग़ज़ल तो एक इशारा है / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 13:25, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+1,112) . . पलकों के शामियाने में ख़्वाब पल रहे थे / डी. एम. मिश्र
- 13:17, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+796) . . कोई बंधन हो छूट जाता है / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 13:16, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+858) . . झोंपड़ी में हों या हवेली में / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 13:04, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+1,232) . . इतने क़रीब रह के मगर भूल गये हैं / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 13:03, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+1,167) . . अपना है मगर अपनो सी इज़्ज़त नहीं देता / डी. एम. मिश्र
- 13:02, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+1,227) . . हाले दिल क्या सुनाऊँ तुझे वक़्त गुज़रा नहीं भूलता / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 13:01, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+1,108) . . जहर तुमने अकेले पी लिया ऐसा नहीं होता / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 13:01, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+1,094) . . मेरा आँगन मेरे घर में रहने को तैयार नहीं / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 13:00, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+1,088) . . दुकाँ छोटी हो लेकिन दोस्तो बैनर बड़ा रखना / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 12:59, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+972) . . उनकी उँगली में जो होता तो नगीना होता / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 12:59, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+1,192) . . बड़े वो लोग हैं किरदार की बातें करते / डी. एम. मिश्र
- 12:55, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+1,262) . . हवा में है वो अभी आसमान बाक़ी है / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 12:55, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+1,050) . . इन बुज़़ु़र्गों की ज़रूरत अब कहीं पड़ती नहीं / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 12:54, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+1,573) . . न बहुत सुना था नाम मगर वो जन्नत जाने कहाँ गयी / डी. एम. मिश्र ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=डी. एम. मिश्र |संग्रह=आईना-दर-आईना /...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) (मौजूदा)
- 12:53, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+1,343) . . किसी की आँख से दुनिया हमें अब देखनी पड़ती / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 12:52, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+152) . . आईना-दर-आईना / डी. एम. मिश्र
- 12:51, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+1,348) . . समन्दर की लहर पहचानता हूँ क्या करूँ लेकिन / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 12:50, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+943) . . बुझे न प्यास तो फिर सामने नदी क्यों है / डी. एम. मिश्र
- 12:50, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+1,352) . . बेाझ धान का लेकर वो जब हौले-हौले चलती है / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 12:49, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+1,030) . . दरपन ने जो चोट सही वो पत्थर क्या जाने / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 12:48, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+1,541) . . वो हमको अच्छा लगता है हम उस पर प्यार लुटाते हैं / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 12:48, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+848) . . उससे बातें करें पर वो ज़िंदा तो हो / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 12:47, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-1) . . अँधेरा जब मुक़द्दर बन के घर में बैठ जाता है / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 12:47, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+1,013) . . है वही दुनिया नये अंदाज़ में दिखने लगी / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 12:46, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+958) . . दरिया का हुस्न छोटे से क़तरे में देखिये / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 12:29, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+1,059) . . जो कट गयी है ज़िंदगी मुड़कर उसे देखा नहीं / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 12:29, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+1,091) . . कुछ मेरा दीवानापन था, कुछ नसीब का चक्कर था / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 12:27, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+1,049) . . ज़ुबाँ हो तो वो बोले, बेज़ुबाँ बोले मगर कैसे / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 12:26, 2 जनवरी 2017 (अंतर | इतिहास) . . (+1,415) . . देश की धरती उगले सोना वो भी लिखो तरक़्क़ी में / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
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