भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गीतावली / तुलसीदास / पृष्ठ 3
Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:22, 29 मई 2011 का अवतरण
दुलार
- सुभग सेज सोभित कौसिल्या रुचिर राम-सिसु गोद लिये / तुलसीदास
- ह्वै हौ लाल कबहिं बड़े बलि मैया / तुलसीदास
- चुपरि उबटि अनाहवाइकै नयन आँजे / तुलसीदास
- आजु अनरसे हैं भोरके, पय पियत न नीके / तुलसीदास
- या सिसुके गुन नाम-बड़ाई / तुलसीदास
- अवध आजु आगमी एकु आयो / तुलसीदास
- पौढ़िये लालन, पालने हौं झुलावौं / तुलसीदास
- कनक-रतनमय पालनो रच्यो मनहुँ मार-सुतहार / तुलसीदास
- पालने रघुपति झुलावै / तुलसीदास
- झूलत राम पालने सोहैं / तुलसीदास
- राजत सिसुरूप राम सकल गुन-निकाय-धाम / तुलसीदास
- आँगन फिरत घुटुरुवनि धाए / तुलसीदास
- रघुबर बाल छबि कहौं बरनि / तुलसीदास
- भूमितल भूपके बड़े भाग / तुलसीदास
- छँगन मँगन अँगना खेलत चारु चार्यो भाई / तुलसीदास
- आँगन खेलत आनँदकन्द / तुलसीदास
- ललित सुतहि लालति सचु पाये / तुलसीदास
- छोटी छोटी गोड़ियाँ अँगुरियाँ छबीलीं छोटी / तुलसीदास
- सोहत सहज सुहाये नैन / तुलसीदास
- भोर भयो जागहु, रघुनन्दन / तुलसीदास
- प्रात भयो तात, बलि मातु बिधु-बदनपर / तुलसीदास
- जागिये कृपानिधान जानराय रामचन्द्र / तुलसीदास
- बिलखित कुमुदनि, चकोर, चक्रवाक हरष भोर / तुलसीदास
- खेलन चलिये आनँदकन्द / तुलसीदास
- बिहरत अवध-बीथिन राम / तुलसीदास
- जैसे राम ललित तैसे लोने लषन लालु / तुलसीदास
- ललित-ललित लघु-लघु धनु-सर कर / तुलसीदास
- छोटिऐ धनुहियाँ, पनहियाँ पगनि छोटी / तुलसीदास
- राम-लषन इक ओर, भरत-रिपुदवन लाल इक ओर भये / तुलसीदास
- खेलि खेल सुखेलनिहारे / तुलसीदास