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फ़रीद क़मर
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फ़रीद क़मर
जन्म | 05 अप्रैल 1981 |
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उपनाम | क़मर |
जन्म स्थान | लक्ष्मीपुर, कुशीनगर, उत्तरप्रदेश |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
फ़रीद क़मर / परिचय |
ग़ज़लें
- हमने समझा था कि बस इक कर्बला है ज़िन्दगी / फ़रीद क़मर
- सच बोले कौन? कोई भी अब मिल नहीं रहा / फ़रीद क़मर
- ताबिन्दा रौशनी की ख़बर ले के आएगी / फ़रीद क़मर
- हर मौसम को सावन सा मौसम कर देता है / फ़रीद क़मर
- कितने ग़म से रोज़ टकराना पड़ा / फ़रीद क़मर
- हुजूमे-ग़म में घुट कर हर ख़ुशी दम तोड़ देती है / फ़रीद क़मर
- बहुत ही सख्त हैं, अश्कों से तर नहीं होते / फ़रीद क़मर
- शाम में रंगे-शफ़क़ बन कर बिखरता कौन है / फ़रीद क़मर
- मैं भूली बिसरी याद, टूटा ख्वाब होने वाला हूँ / फ़रीद क़मर
- ज़ेरे-पा इक जहान रखते हैं / फ़रीद क़मर
- धमकियों से डर न जाए आईना / फ़रीद क़मर
- गली गली था, नगर नगर था, डगर डगर था / फ़रीद क़मर
- बहुत कठिन था, मगर सर ये मरहला तो हुआ / फ़रीद क़मर
- याद आती रही वो नज़र रात भर / फ़रीद क़मर
- कुछ निशाने-ज़िन्दगी, कुछ नक़्शे-पा ले जायेंगे / फ़रीद क़मर
- हरा था ज़ख्म जो बरसों से, भरने वाला है / फ़रीद क़मर
- मैं हँस पड़ा हूँ बहुत ज़ोर से, मगर कैसे / फ़रीद क़मर
- ज़ुल्मतों के वार दम-ब-दम हुए / फ़रीद क़मर
- सदमे हज़ारों, रंजे-दिलो-जान थे बहुत / फ़रीद क़मर
- रवाँ दवाँ था रगों में जो ज़िन्दगी की तरह / फ़रीद क़मर
- इश्क़, रस्मों के मुक़ाबिल आया क्या? / फ़रीद क़मर
- ग़म को भी तराश कर ख़ुशी बना दिया / फ़रीद क़मर
- कुछ अशआर / फ़रीद क़मर