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साखी / विजयदेव नारायण साही
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साखी
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रचनाकार | विजयदेव नारायण साही |
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प्रकाशक | वाणी प्रकाशन, दरियागंज, नई दिल्ली-110002 । |
वर्ष | 1993 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | नई कविता |
पृष्ठ | 146 |
ISBN | 81-7055-317-2 |
विविध | कवि के जीवन में प्रकाशित उनका एकमात्र संग्रह |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- भूमिका (कंचन लता साही / विजयदेव नारायण साही
- सिरनामे की तलाश / विजयदेव नारायण साही
- लकीर की समाप्ति पर एक आदमी / विजयदेव नारायण साही
- जिसकी कल्पना तुमने की थी / विजयदेव नारायण साही
- अंधेरे मुसाफ़िरख़ाने में / विजयदेव नारायण साही
- बेनाम तकलीफ़ों वाला बूढ़ा / विजयदेव नारायण साही
- चमत्कार की प्रतीक्षा / विजयदेव नारायण साही
- एक अनावश्यक घटनाक्रम / विजयदेव नारायण साही
- कुएँ में कोई गिर गया है / विजयदेव नारायण साही
- शाम के वक़्त रुद्ध अवस्थाओं वाला व्यक्ति / विजयदेव नारायण साही
- एक कार-दुर्घटना की याद / विजयदेव नारायण साही
- कौन पुकारता है? / विजयदेव नारायण साही
- आदमी जिसका चला जाना शुरू हुआ / विजयदेव नारायण साही
- संगमरमर / विजयदेव नारायण साही
- साक्षात्कार / विजयदेव नारायण साही
- युग-मुक्ति / विजयदेव नारायण साही
- फ़ानूस और हिरण / विजयदेव नारायण साही
- लय / विजयदेव नारायण साही
- सुन्न मकान, सुन्न आकाश और कौवा / विजयदेव नारायण साही
- मृत्यु के लिए / विजयदेव नारायण साही
- मृत्यु की तरह या जीवन की तरह / विजयदेव नारायण साही
- साँप काटे हुए भाई से / विजयदेव नारायण साही
- ताकि बाद में दुख न हो / विजयदेव नारायण साही
- कुछ नहीं कर पाएंगे / विजयदेव नारायण साही
- अभी नहीं / विजयदेव नारायण साही
- मकान / विजयदेव नारायण साही
- इन दबी यादगारों से / विजयदेव नारायण साही
- आख़िरकार / विजयदेव नारायण साही
- पुल पर / विजयदेव नारायण साही
- हवा महल / विजयदेव नारायण साही
- सारा का सारा हेमन्त / विजयदेव नारायण साही
- एक दुश्मन के लिए / विजयदेव नारायण साही
- सुवर्ण रेखा नदी / विजयदेव नारायण साही
- नदी की याद से सम्बद्ध कुछ पंक्तियाँ / विजयदेव नारायण साही
- पहाड़ियाँ, जंगल और एक आदमी / विजयदेव नारायण साही
- जंगल / विजयदेव नारायण साही
- जलते हुए जंगल के पास / विजयदेव नारायण साही
- अकेले पेड़ों का तूफ़ान / विजयदेव नारायण साही
- मेरे साथ कौन आता है / विजयदेव नारायण साही
- क्रूसो / विजयदेव नारायण साही
- आख़िरी क़ैदी / विजयदेव नारायण साही
- बहस के बाद / विजयदेव नारायण साही
- अंत में सूत्रधार का वाक्य / विजयदेव नारायण साही
- वह, तुम, मैं / विजयदेव नारायण साही
- बादशाह अकबर के नाम / विजयदेव नारायण साही
- कोई दरवाज़ा निकाल रहा है / विजयदेव नारायण साही
- कौवे / विजयदेव नारायण साही
- प्यास के भीतर प्यास / विजयदेव नारायण साही
- औरेबी हमसफ़र / विजयदेव नारायण साही
- वरदान देने वाले देवताओं की ओर से / विजयदेव नारायण साही
- पराजय के बाद / विजयदेव नारायण साही
- सुर्ख़ गुलाब / विजयदेव नारायण साही
- अस्पताल में / विजयदेव नारायण साही
- वे / विजयदेव नारायण साही
- चट्टान आसमान / विजयदेव नारायण साही
- ख़ाली बारहदरी / विजयदेव नारायण साही
- राघव की तलाश में एक पीड़ित नगर में पाँच दिन / विजयदेव नारायण साही
- अखरावट / विजयदेव नारायण साही
- इसी शताब्दी के सामने / विजयदेव नारायण साही
- संताप में एक कविता / विजयदेव नारायण साही
- क्या करूँ / विजयदेव नारायण साही
- सत की परीक्षा / विजयदेव नारायण साही
- सूरज / विजयदेव नारायण साही
- कोयल और बच्चा / विजयदेव नारायण साही
- अब / विजयदेव नारायण साही
- प्रार्थना : गुरु कबीरदास के लिए / विजयदेव नारायण साही