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रागविराग / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
Kavita Kosh से
रागविराग
रचनाकार | सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" |
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प्रकाशक | लोकभारती प्रकाशन |
वर्ष | फरवरी ०३, १९९८ |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | |
पृष्ठ | 130 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- रँग गई पग-पग धन्य धरा / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- सखि, वसन्त आया / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- नयनों के डोरे लाल / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- ज़ुही की कली / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- बादल-राग-6 / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- हताश / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- ध्वनि / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- हिन्दी के सुमनों के प्रति पत्र / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- सच है / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- प्याला / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- रे, न कुछ हुआ तो क्या ? / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- कौन तम के पार ? / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- अस्ताचल रवि / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- दे, मैं करूँ वरण / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- अनगिनित आ गए शरण में / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- पावन करो नयन ! / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- वर दे वीणावादिनी वर दे ! / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- बन्दूँ, पद सुन्दर तव / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- भारति, जय, विजय करे ! / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- जग का एक देखा तार / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- टूटें सकल बंध / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- बुझे तृष्णाशा-विषानल / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- प्रात तब द्वार पर / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- सरोज स्मृति / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- राम की शक्ति पूजा / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- नर्गिस / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- वसन्त की परी के प्रति / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- अपराजिता / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- वन-बेला / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- तोड़ती पत्थर / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- उक्ति / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- उत्साह / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- खुला आसमान / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- मरण-दृश्य / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- मैं अकेला / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- स्नेह-निर्झर बह गया है / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- गहन है यह अन्ध कारा / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- मरण को जिसने वरा है / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- अमरण भर वरण-गान / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- (प्रिय) यामिनी जागी / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- मौन रही हार / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- जागृति में सुप्ति थी / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- जागो फिर एक बार-1 / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- प्रिया के प्रति / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- बादल-राग-1 / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- गर्जन से भर दो वन / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- जागो फिर एक बार-2 / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- अध्यात्म-फल / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- अधिवास / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- विस्मृत-भोर / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- वृत्ति / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- युक्ति / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- परलोक / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- पतनोन्मुख / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- आए पलक पर प्राण कि / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- स्नेह की रागिनी बजी / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- हँसी के तार होते हैं ये बहार के दिन / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- बादल छाए / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- बातें चलीं सारी रात तुम्हारी / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- काले-काले बादल छाए / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- टूटी बाँह जवाहर की / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- आरे, गंगा के किनारे / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- बाहर मैं कर दिया गया हूँ / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- कुछ न हुआ, न हो / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- दलित जन को करो करुणा / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- मुसीबत में कटे हैं दिन / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- स्वर के सुमेरु से झरझरकर / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- शुभ्र आनन्द आकाश पर छा गया / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- बीन की झंकार कैसी बस गई / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- वेश रूखे-अधर सूखे / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- किनारा वह हमसे किए जा रहे हैं / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- किसकी तलाश में हो इतने उतावले-से ? / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- जल्द-जल्द पैर बढ़ाओ / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- ख़ून की होली जो खेली / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- झींगुर डटकर बोला / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- राजे ने अपनी रखवाली की / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- चर्खा चला / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- दग़ा की / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- कुकुरमुत्ता-1 / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- वरद हुईं शारदा जी हमारी / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- कूची तुम्हारी फिरी कानन में / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- कुंज-कुंज कोयल बोली है / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- फूटे हैं आमों में बौर / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- अट नहीं रही है / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- खेलूँगी कभी न होली / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- केशर की, कलि की पिचकारी / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- गोरे अधर मुसकाई / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- फिर उपवन में खिली चमेली / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- फिर बेले में कलियाँ आईं / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- मालती खिली, कृष्ण मेघ की / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- बाँधो न नाव इस ठाँव बन्धु ! / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- फिर नभ घन घहराए / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- प्यासे तुमसे भरकर हरसे / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- जिधर देखिए, श्याम विराजे / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- पारस, मदन हिलोर न दे तन / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- केश के मेचक मेघ छुटे / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- धिक मनस्सब, मान, गरजे बदरवा / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- (अ) धिक मद, गरजे बदरवा / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- (आ) समझे मनोहारि वरण जो हो सके / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- ताक कमसिनवारि / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- शरत की शुभ्र गंध फैली / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- आँख लगाई / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- आँख बचाते हो / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- कौन गुमान करो ज़िन्दगी का ? / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- कठिन यह संसार / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- कैसे हुई हार तेरी निराकार / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- गीत गाने दो मुझे तो / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- ये दुख के दिन / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- देखता रहता है अब जीवन / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- धीरे-धीरे हँसकर आईं / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- निविड़ विपिन, पथ अराल / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- शिशिर की शर्वरी / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- घन तम से आवृत धरणी है / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- नील जलधि जल / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- नील नयन, नील पलक / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- हारता है मेरा मन / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- भग्न तन, रुग्ण मन / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- मरा हूँ हज़ार मरण / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- मधुर स्वर तुमने बुलाया / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- हे जननि, तुम तपश्चरिता / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- माँ अपने आलोक निखारो / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- दुरित दूर करो नाथ / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- भजन कर हरि के चरण, मन ! / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- अशरण-शरण राम / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- सुख का दिन डूबे डूब जाए / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- दुख भी सुख का बन्धु बना / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- ऊर्ध्व चन्द्र, अधर चन्द्र / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- हे मानस के सकाल ! / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- जय तुम्हारी देख भी ली / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- पत्रोत्कंठित जीवन का विष / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"