भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ग़ज़ल कहनी पड़ेगी झुग्गियों पर / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
|नाम=ग़ज़ल कहनी पड़ेगी झुग्गियों पर | |नाम=ग़ज़ल कहनी पड़ेगी झुग्गियों पर | ||
|रचनाकार=[['सज्जन' धर्मेन्द्र]] | |रचनाकार=[['सज्जन' धर्मेन्द्र]] | ||
− | |प्रकाशक=अंजुमन प्रकाशन, मुट्ठीगंज, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत | + | |प्रकाशक=अंजुमन प्रकाशन, 942 आर्य कन्या चौराहा, मुट्ठीगंज, इलाहाबाद-211003, उत्तर प्रदेश, भारत |
|वर्ष=2014 | |वर्ष=2014 | ||
|भाषा=हिन्दी | |भाषा=हिन्दी | ||
पंक्ति 19: | पंक्ति 19: | ||
* [[ग़ज़ल कहनी पड़ेगी झुग्गियों पर कारख़ानों पर / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | * [[ग़ज़ल कहनी पड़ेगी झुग्गियों पर कारख़ानों पर / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | ||
+ | * [[मिल नगर से न फिर वो नदी रह गई / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | ||
* [[दे दी अपनी जान किसी ने धान उगाने में / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | * [[दे दी अपनी जान किसी ने धान उगाने में / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | ||
+ | * [[छाँव से सटकर खड़ी है धूप ‘सज्जन’ / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | ||
* [[जिस घड़ी बाज़ू मेरे चप्पू नज़र आने लगे / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | * [[जिस घड़ी बाज़ू मेरे चप्पू नज़र आने लगे / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | ||
+ | * [[पानी का सारा गुस्सा जब पी जाता है बाँध / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | ||
* [[है मरना डूब के, मेरा मुकद्दर, भूल जाता हूँ / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | * [[है मरना डूब के, मेरा मुकद्दर, भूल जाता हूँ / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | ||
+ | * [[सूरज हुआ है पस्त ये मौसम तो देखिए / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | ||
+ | * [[ढहे मस्जिद कहीं, सच्चा पुजारी टूट जाता है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | ||
* [[दिल है तारा, रहे जहाँ, चमके / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | * [[दिल है तारा, रहे जहाँ, चमके / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | ||
+ | * [[यहाँ कोई धरम नहीं मिलता / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | ||
* [[मेरे प्रेम दिये को भाता तेरा अँगना था / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | * [[मेरे प्रेम दिये को भाता तेरा अँगना था / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | ||
+ | * [[वो भी साबुत बचा नहीं होता / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | ||
* [[चिड़िया की जाँ लेने में इक दाना लगता है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | * [[चिड़िया की जाँ लेने में इक दाना लगता है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | ||
+ | * [[जिन्हें हम देवता समझते हैं / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | ||
+ | * [[ख़ुद को ख़ुद ही झुठलाओ मत / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | ||
+ | * [[जहाँ जाओ जुनून मिलता है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | ||
+ | * [[आँखें बंद पड़ीं गीजर की फिर भी दहता है पानी / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | ||
+ | * [[काश यादों को करीने से लगा पाता मैं / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | ||
+ | * [[चंदा तारे बन रातों में नभ को जाती हैं / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | ||
* [[गरीबों के लहू से जो महल अपने बनाता है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | * [[गरीबों के लहू से जो महल अपने बनाता है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | ||
− | * [[ | + | * [[कहे कौन उठ दोपहर हो गई / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
* [[ / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | * [[ / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | ||
* [[ / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] | * [[ / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]] |
14:30, 5 जुलाई 2014 का अवतरण
ग़ज़ल कहनी पड़ेगी झुग्गियों पर

रचनाकार | 'सज्जन' धर्मेन्द्र |
---|---|
प्रकाशक | अंजुमन प्रकाशन, 942 आर्य कन्या चौराहा, मुट्ठीगंज, इलाहाबाद-211003, उत्तर प्रदेश, भारत |
वर्ष | 2014 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | ग़ज़ल संग्रह |
विधा | ग़ज़ल |
पृष्ठ | 112 |
ISBN | 978-93-83969-23-4 |
विविध | यह पुस्तक अंजुमन प्रकाशन के साहित्य सुलभ संस्कारण के अंतर्गत प्रकाशित है। |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- ग़ज़ल कहनी पड़ेगी झुग्गियों पर कारख़ानों पर / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- मिल नगर से न फिर वो नदी रह गई / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- दे दी अपनी जान किसी ने धान उगाने में / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- छाँव से सटकर खड़ी है धूप ‘सज्जन’ / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- जिस घड़ी बाज़ू मेरे चप्पू नज़र आने लगे / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- पानी का सारा गुस्सा जब पी जाता है बाँध / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- है मरना डूब के, मेरा मुकद्दर, भूल जाता हूँ / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- सूरज हुआ है पस्त ये मौसम तो देखिए / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- ढहे मस्जिद कहीं, सच्चा पुजारी टूट जाता है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- दिल है तारा, रहे जहाँ, चमके / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- यहाँ कोई धरम नहीं मिलता / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- मेरे प्रेम दिये को भाता तेरा अँगना था / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- वो भी साबुत बचा नहीं होता / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- चिड़िया की जाँ लेने में इक दाना लगता है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- जिन्हें हम देवता समझते हैं / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- ख़ुद को ख़ुद ही झुठलाओ मत / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- जहाँ जाओ जुनून मिलता है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- आँखें बंद पड़ीं गीजर की फिर भी दहता है पानी / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- काश यादों को करीने से लगा पाता मैं / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- चंदा तारे बन रातों में नभ को जाती हैं / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- गरीबों के लहू से जो महल अपने बनाता है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- कहे कौन उठ दोपहर हो गई / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- / 'सज्जन' धर्मेन्द्र