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प्यार का पहला ख़त
रचनाकार | हस्तीमल 'हस्ती' |
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इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- मुहब्बत का ही इक मोहरा नहीं था / हस्तीमल 'हस्ती'
- चिराग़ दिल का म़ुकाबिल हवा के रखते हैं / हस्तीमल 'हस्ती'
- प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है / हस्तीमल 'हस्ती'
- कांच के टुकड़ों को महताब बताने वाले / हस्तीमल 'हस्ती'
- क्या ख़ास क्या है आम ये मालूम है मुझे / हस्तीमल 'हस्ती'
- ख़ुशनुमाई देखना ना क़द किसी का देखना / हस्तीमल 'हस्ती'
- ढूँढा है हर जगह पे कहीं पर नहीं मिला / हस्तीमल 'हस्ती'
- ख़ुद अपने जाल में तू आ गया ना / हस्तीमल 'हस्ती'
- कौन है धूप-सा छाँव-सा कौन है / हस्तीमल 'हस्ती'
- फूल पत्थर में खिला देता है / हस्तीमल 'हस्ती'
- वो भी चुपचाप है इस बार, ये किस्सा क्या है / हस्तीमल 'हस्ती'
- स़ाफगोई की अदा इक हद तलक / हस्तीमल 'हस्ती'
- हँसती गाती तबीयत रखिए / हस्तीमल 'हस्ती'
- इस तरह याद आएँगे हम फ़ुरसतों के दर्मियाँ / हस्तीमल 'हस्ती'
- सब की सुनना, अपनी करना / हस्तीमल 'हस्ती'
- लड़ने की जब से ठान ली सच बात के लिए / हस्तीमल 'हस्ती'
- सच कहना और पत्थर खाना पहले भी था आज भी है / हस्तीमल 'हस्ती'
- आते-जाते डर लगता है / हस्तीमल 'हस्ती'
- उस जगह सरहदें नहीं होतीं / हस्तीमल 'हस्ती'
- किस पे ये ग़म असर नहीं / हस्तीमल 'हस्ती'
- इस दुनियादारी का कितना भारी मोल चुकाते हैं / हस्तीमल 'हस्ती'
- खोये-खोये लगते हो, ठीक-ठाक तो हो / हस्तीमल 'हस्ती'
- गुल हो समर हो शाख़ हो किस पर नहीं गया / हस्तीमल 'हस्ती'
- / हस्तीमल 'हस्ती'
- / हस्तीमल 'हस्ती'
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