Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
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+ | * [[मिटा दे तू मेरे खेतों से खरपतवार चुटकी में / द्विजेन्द्र 'द्विज']] | ||
+ | * [[तू स्वादों का दास रे जोगी / द्विजेन्द्र 'द्विज']] |
08:41, 1 अप्रैल 2021 के समय का अवतरण
द्विजेन्द्र 'द्विज'
www.kavitakosh.org/dwij
www.kavitakosh.org/dwij
जन्म | 10 अक्तूबर 1962 |
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उपनाम | द्विज |
जन्म स्थान | नूरपुर, हिमाचल प्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
जन-गण-मन(ग़ज़ल संग्रह) | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
द्विजेन्द्र 'द्विज' / परिचय | |
कविता कोश पता | |
www.kavitakosh.org/dwij |
ग़ज़ल संग्रह
ग़ज़लें
- नदी / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- हर नया दिन हो एक दीप-उत्सव / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- इस ज़मीं का हूँ मुझे कोई फ़रिश्ता न समझ / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- नज़्र मैं क्या करूँ नाज़िर मेरे / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- है उजालों के सिलसिले हर-सू / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- हाँ मगर आँखों में पानी है अभी तक गाँव में / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- सख़्त मौसम से मुसाफ़िर नहीं डरने वाला / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- मुक्तिगीत / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- ख़ुद भले ही झेली हो त्रासदी पहाड़ों ने / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- जिधर कहीं भी है ख़्वाबों का कारवाँ निकला / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- जबकि नारों में यहाँ हैं लाख उजियारे हुए/ द्विजेन्द्र 'द्विज'
- आइने कितने यहाँ टूट चुके हैं अब तक / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- ज़ेहन में और कोई डर नहीं रहने देता / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- न वापसी है जहाँ से वहाँ हैं सब के सब / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- आपने इतना दिया है ध्यान सड़कों पर / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- ज़ब्त किस इम्तहान तक पहुँचा / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- इसी तरह से ये काँटा निकाल देते हैं / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- औज़ार बाँट कर ये सभी तोड़—फोड़ के / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- ये कौन छोड़ गया इस पे ख़ामियाँ अपनी / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- बुला लो पास उजाले की वो नदी फिर से / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- कहाँ पहँचे सुहाने मंज़रों तक / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- मैं ज़िन्दगी में कभी इस क़दर न भटका था / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- कोई बरसता रहा बादलों की भाषा में / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- मोम—परों से उड़ना और / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- वो नज़र में नज़ारा नहीं है / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- ज़रा झाँक कर ख़ुद से बाहर तो देखो / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- मिली है ज़ेह्न—ओ—दिल को बेकली क्या / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- लौट कर आए हो अपनी मान्यताओं के खिलाफ़ / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- उस आदमी का ग़ज़लें कहना क़ुसूर होगा / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- हर गली, हर मोड़ पर अब जा बँधे शर्तों में लोग / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- ये कौन पूछता है भला आसमान से / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- जब भी अपने आपसे ग़द्दार हो जाते हैं लोग / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- नाम पर तहज़ीब—ओ—मज़हब के मचा हुड़दंग है / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- बाँध कर दामन से अपने झुग्गियाँ लाई ग़ज़ल / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- दिलों की उलझनों से फ़ैसलों तक / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- पंख कुतर कर जादूगर जब चिड़िया को तड़पाता है / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- अश्क बन कर जो छलकती रही मिट्टी मेरी / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- नग़्मगी नग़्मासरा है और नग़्मों में गुहार / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- मिटा दे तू मेरे खेतों से खरपतवार चुटकी में / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- तू स्वादों का दास रे जोगी / द्विजेन्द्र 'द्विज'