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सतसैया के दोहरे,<br>
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सतसैया के दोहरे, अरु नावुक कै तीरु<br>
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देखत तौ छोटै लगैं, घाव करै गंभीरु<br>
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* [[बिहारी सतसई / भाग 10 / बिहारी]]
 
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'''द्वितीय शतक'''
 
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बिहारी सतसई
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रचनाकार बिहारी
प्रकाशक पुस्तक-भंडार, पटना-4
वर्ष
भाषा
विषय
विधा
पृष्ठ 290
ISBN
विविध सम्पादक: आचार्य श्री रामलोचनशरण। टीकाकार: श्री रामवृक्ष बेनीपुरी
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।

इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ

सतसैया के दोहरे, अरु नावुक कै तीरु
देखत तौ छोटै लगैं, घाव करै गंभीरु

प्रथम शतक

द्वितीय शतक

तृतीय शतक

चतुर्थ शतक

पंचम शतक

षष्ठम शतक

सप्तम शतक