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आ सदी मिजळी मरै / सांवर दइया
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आ सदी मिजळी मरै
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रचनाकार | सांवर दइया |
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प्रकाशक | नेगचार प्रकाशन, बीकानेर |
वर्ष | 30 जुलाई, 1996 |
भाषा | राजस्थानी |
विषय | कविता |
विधा | पंचलड़ी |
पृष्ठ | 80 |
ISBN | |
विविध | काव्य |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- अगूण गोखै ऊभी बडभागण देखो / सांवर दइया
- अचाणचक कीं दिख जावै / सांवर दइया
- अबै तूं सुणलै आ साफ़ भायला / सांवर दइया
- अबै अठै सूं आगै कांई ठा / सांवर दइया
- अलख जगावै आखर / सांवर दइया
- असाढ सागै लूवां दोरी लागै / सांवर दइया
- आ आंख क्यूं भरै, ठा है म्हनै / सांवर दइया
- आ कुदरत मा ईं रो हेत देख तूं / सांवर दइया
- आखो डील पसेवै सूं तर लागै / सांवर दइया
- आ नाव मझधार अर एकलो आदमी / सांवर दइया
- आयो बगत भूंडो भारी बाबा / सांवर दइया
- इण रो नांव देख खुशी भायला / सांवर दइया
- ईं नगरी में सोवै-जागै अंधारो / सांवर दइया
- एक चिड़ो एक चिड़ी देखो / सांवर दइया
- एक तो कोनी हरख रो अदीतवार अठै / सांवर दइया
- ऐ काच रा घर भाठा ना फेंको / सांवर दइया
- ऐ धोरा धोरां में कांटा बाबा / सांवर दइया
- ओळंग आयी तट री डोळी झील / सांवर दइया
- ओळूं आवै हर घडी सांस जाणै / सांवर दइया
- / सांवर दइया